आदि में शब्द था, शब्द परमेश्वर के साथ था और शब्द परमेश्वर था। वह आदि में परमेश्वर के साथ था। उसके द्वारा सब कुछ उत्पन्न हुआ और जो कुछ भी उत्पन्न हुआ, वह उसके बिना उत्पन्न नहीं हुआ। उसमें जीवन था, और यह जीवन मनुष्यों की ज्योति था। वह ज्योति अन्धकार में चमकती रही, और अन्धकार उसे नहीं बुझा सका। परमेश्वर ने एक मनुष्य को भेजा। उसका नाम योहन था। योहन साक्षी देने के लिए आए, कि वह ज्योति के विषय में साक्षी दें, जिससे सब लोग उनके द्वारा विश्वास करें। वह स्वयं ज्योति नहीं थे; किन्तु वह ज्योति के विषय में साक्षी देने आए थे। सच्ची ज्योति, जो प्रत्येक मनुष्य को प्रकाशित करती है, संसार में आ रही थी। शब्द संसार में था, और संसार उसके द्वारा उत्पन्न हुआ; किन्तु संसार ने उसे नहीं पहचाना। वह अपनों के पास आया और उसके अपने लोगों ने ही उसे नहीं अपनाया, किन्तु जितनों ने उसे अपनाया, और उसके नाम में विश्वास किया, उन सब को उसने परमेश्वर की संतान बनने का अधिकार दिया। वे न तो रक्त से, न शरीर की वासना से, और न किसी पुरुष की इच्छा से, बल्कि परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। शब्द ने देह धारण कर हमारे बीच निवास किया। हम ने उसकी ऐसी महिमा देखी जैसी पिता के एकलौते पुत्र की महिमा, जो अनुग्रह और सत्य से परिपूर्ण है।
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