प्रभु का कथन है, ‘किन्तु उन दिनों में भी मैं तुम्हारा पूर्ण संहार नहीं करूंगा। जब लोग तुझ से पूछेंगे, कि “हमारे प्रभु परमेश्वर ने हमारे साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया?” तब तुम उनसे यह कहना, “जैसे हम ने प्रभु परमेश्वर को त्याग कर अपने देश में विदेशी कौमों के देवी-देवताओं की सेवा की थी, वैसे ही हमें पराए देश में विदेशी लोगों की सेवा करनी पड़ेगी।” ‘याकूब के वंशजों को यह बताओ, यहूदा प्रदेश के लोगों से यह कहो: ओ मूर्ख और नासमझ लोगो, यह सुनो। तुम्हारी आंखें हैं, पर तुम नहीं देखते। तुम्हारे कान हैं, पर तुम नहीं सुनते। तुम कब तक मेरी भक्ति नहीं करोगे? तुम कब तक भक्ति भाव से मेरे सम्मुख घुटने नहीं टेकोगे? मैंने समुद्र की सीमा बांधने के लिए रेत डाली है। यह स्थायी मर्यादा है, जिसको वह कभी लांघ नहीं सकता। लहरें उठती हैं, पर वे उसको लांघ नहीं सकतीं। वे गरजती हैं, किन्तु वे उस पर प्रबल नहीं हो पातीं। लेकिन इन लोगों का हृदय हठीला और विद्रोही है। वे मुझ-प्रभु की ओर पीठ फेर कर भटक गए हैं।
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