तूने अपने आप से यह कहा था: “मुझे धिक्कार है! क्या मेरा दु:ख कम था कि प्रभु मुझ पर एक के बाद एक विपत्ति ढाहता रहा। मैं कराहते-कराहते थक गया। मुझे कहीं चैन नहीं मिला।” प्रभु ने मुझसे कहा, “यिर्मयाह, तू उससे कहना: प्रभु यों कहता है : जो मैंने बनाया था, उसको अब मैं ध्वस्त कर रहा हूं। जिसको मैंने रोपा था, अब उसको मैं उखाड़ रहा हूं - अर्थात् इस सम्पूर्ण देश को।
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