यिर्मयाह 42:1-12

यिर्मयाह 42:1-12 HINCLBSI

सैन्‍य-दल के सब सेना-नायक, योहानान बेन-कारेह, याजन्‍याह बेन-होशायाह तथा जनता के छोटे-बड़े लोग नबी यिर्मयाह के पास आए, और उन से यह निवेदन किया, ‘कृपया, हमारा निवेदन स्‍वीकार कीजिए, और हम-सब बचे हुए लोगों के लिए अपने प्रभु परमेश्‍वर से प्रार्थना कीजिए (आप स्‍वयं अपनी आंखों से देख रहे हैं, कि पहले हम संख्‍या में कितने अधिक थे, और अब कितने थोड़े रह गए हैं।), ताकि आपका प्रभु परमेश्‍वर हमें वह मार्ग बताए जिस पर हमें चलना चाहिए; हमें वह काम बताए, जो हमें करना चाहिए।’ नबी यिर्मयाह ने उनसे कहा, ‘मैंने तुम्‍हारा निवेदन सुना। मैं निस्‍सन्‍देह तुम्‍हारे निवेदन के अनुसार तुम लोगों के प्रभु परमेश्‍वर से प्रार्थना करूंगा, और जो कुछ वह कहेगा, मैं तुम्‍हें बताऊंगा। मैं तुम से कुछ नहीं छिपाऊंगा।’ तब सब लोगों ने यिर्मयाह से कहा, ‘यदि आपका प्रभु परमेश्‍वर आपके माध्‍यम से हमें अपना वचन देगा और यदि हम उस वचन के अनुसार आचरण नहीं करेंगे तो हमारे विरुद्ध स्‍वयं प्रभु हमारा सच्‍चा और विश्‍वस्‍त साक्षी हो। चाहे उसका वचन हमारे हित में हो, या अहित में, हम अपने प्रभु परमेश्‍वर की आज्ञा का पालन करेंगे। उससे प्रार्थना करने के लिए हम आप को भेज रहे हैं। ताकि जब हम अपने प्रभु परमेश्‍वर की आज्ञा का पालन करें, तब हमारा कल्‍याण हो।’ दस दिन के अंत में प्रभु का वचन यिर्मयाह को मिला। अत: यिर्मयाह ने योहानान बेन-कारेह, उसके साथ के सब सेना-नायकों और जनता के छोटे-बड़े लोगों को बुलाया और उनसे यह कहा, ‘इस्राएल का प्रभु परमेश्‍वर, जिसके सम्‍मुख तुम्‍हारी याचना करने के लिए तुमने मुझे भेजा था, यों कहता है: यदि तुम इस देश में रहोगे, तो मैं तुम्‍हारा पुन: निर्माण करूंगा, और तुम्‍हें नष्‍ट नहीं करूंगा। मैं तुम्‍हारे वंश-वृक्ष को पुन: रोपूंगा, और तुम्‍हें नहीं उखाड़ूंगा; क्‍योंकि मैंने तुम्‍हारा जो अनिष्‍ट किया है, उसके लिए मैं पछता रहा हूं। ‘बेबीलोन के राजा से तुम डर रहे हो, किन्‍तु तुम उससे मत डरो। मुझ-प्रभु की यह वाणी है। सुनो, मैं तुम्‍हारे साथ हूं, इसलिए तुम उस से मत डरो। मैं उसके हाथ से तुम्‍हें छुड़ाऊंगा, तुम्‍हें बचाऊंगा। मैं तुम पर दया करूंगा ताकि वह तुम पर दया करे, और तुम्‍हें अपने इस देश में रहने दे।