यिर्मयाह 26:12-24

यिर्मयाह 26:12-24 HINCLBSI

तब यिर्मयाह ने उच्‍चाधिकारियों और समस्‍त जनता से कहा, ‘प्रभु ने इस मन्‍दिर और इस नगर के विरुद्ध नबूवत करने के लिए मुझे भेजा है, और तुम-सब ने प्रभु के ये वचन सुने। अत: अब अपना आचरण सुधारो, अपने बुरे कामों को छोड़ो, और अपने प्रभु परमेश्‍वर की वाणी को सुनो। तब कदाचित् प्रभु अपने निश्‍चय के लिए पछताए; क्‍योंकि उसने तुम्‍हारा अनिष्‍ट करने का निश्‍चय किया है, जिसकी घोषणा उसने की है। देखो, मैं तुम्‍हारे हाथ में हूं। जो तुम्‍हारी दृष्‍टि में उचित और भला लगे, वही मेरे साथ करो। पर यह अच्‍छी तरह समझ लो कि अगर तुम मुझे प्राण-दण्‍ड दोगे, तो तुम निर्दोष मनुष्‍य की हत्‍या करने के कारण दोषी ठहरोगे, और मेरी हत्‍या का दोष तुम पर, इस नगर पर और नगर-निवासियों के मत्‍थे पड़ेगा। क्‍योंकि यह सच है कि प्रभु ने मुझे तुम्‍हें यह वचन सुनाने के लिए भेजा है।’ तब उच्‍चाधिकारियों और जनता ने पुरोहितों और नबियों से कहा, ‘इस मनुष्‍य ने ऐसा कोई काम नहीं किया है कि इस को मृत्‍यु-दण्‍ड दिया जाए। इस ने तो हमारे प्रभु परमेश्‍वर के नाम से वचन सुनाया है।’ उसी समय यहूदा प्रदेश के धर्मवृद्ध खड़े हुए और उन्‍होंने एकत्रित जन-समुदाय से कहा, ‘भाइयो, हमारे यहूदा प्रदेश के राजा हिजकियाह के राज्‍य-काल में मोरेशेत नगर के रहनेवाले नबी मीकायाह नबूवत करते थे। उन्‍होंने यहूदा की समस्‍त जनता से यह कहा था: “स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु यह कहता है : सियोन की पवित्र भूमि पर शत्रु-सेना का हल चलेगा; यरूशलेम नगर मलवों का ढेर बन जाएगा; और मन्‍दिर का पहाड़ पूजास्‍थल का जंगल बन जाएगा!” ‘हम आप-सब से पूछते हैं : क्‍या राजा हिजाकियाह ने नबी मीकायाह की इस कठोर नबूवत के कारण उन को मृत्‍यु-दण्‍ड दिया? कदापि नहीं; बल्‍कि वह प्रभु से डरा, और उसने प्रभु की कृपा के लिए विनती की। अत: प्रभु अपने निश्‍चय के लिए पछताया, और उसने यहूदा प्रदेश का अनिष्‍ट करने का जो निश्‍चय किया था, और जिसकी उसने घोषणा की थी, वह नहीं किया। किन्‍तु हम तो इस मनुष्‍य के साथ यह व्‍यवहार कर अपने ऊपर महा विपत्ति ला रहे हैं।’ वहां एक और मनुष्‍य था। वह प्रभु के नाम में नबूवत करता था। उसका नाम ऊरीयाह बेन-शमायाह था। वह किर्यत्‍यरीम गांव का रहनेवाला था। ऊरीयाह ने भी नबी यिर्मयाह के समान, उन्‍हीं के शब्‍दों में इस नगर तथा इस प्रदेश के विरुद्ध नबूवत की। जब राजा यहोयाकीम, उसके महायोद्धाओं तथा उच्‍चाधिकारियों ने ऊरीयाह की नबूवत सुनी, तब राजा ने उसको मार डालने का प्रयत्‍न किया। ऊरीयाह ने यह सुना, तो वह डर गया, और प्राण बचा कर मिस्र देश भाग गया। किन्‍तु राजा यहोयाकीम ने कुछ सैनिकों को, एलनातान बेन-अकबोर तथा उसके साथ कुछ और लोगों को मिस्र देश भेजा। वे ऊरीयाह को मिस्र देश से पकड़ कर लाए, और उसको राजा यहोयाकीम के सामने पेश किया। राजा यहोयाकीम ने अपनी तलवार से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया, और शव को जन-साधारण के कब्रिस्‍तान में फेंक दिया। किन्‍तु उच्‍चाधिकारी अहीकाम बेन-शापान ने यिर्मयाह की मदद की। अत: यिर्मयाह भीड़ के हाथ में नहीं सौंपे गए, अन्‍यथा भीड़ उनको मार डालती।