यहूदा प्रदेश के राजा यहोयाकीम बेन-योशियाह के राज्य-काल के आरंभिक वर्ष में प्रभु का यह सन्देश मुझे मिला। ‘प्रभु यों कहता है: जा, प्रभु-गृह के आंगन में खड़ा हो और मेरे भवन में यहूदा प्रदेश के नगरों से आनेवाले आराधकों से यह कह। मैं तुझसे जो बातें कहूंगा, वह सब उन से कहना, एक शब्द भी उन से मत छिपाना। हो सकता है, वे मेरे इन वचनों को सुन कर अपने कुमार्ग से लौटें, और उनके दुष्कर्मों के कारण जो मैंने उनका अनिष्ट करने का निश्चय किया है, उससे मैं पछताऊं। ‘यिर्मयाह, तू उनसे यह कहना : “प्रभु यों कहता है : यदि तुम मेरी बात नहीं सुनोगे, जो व्यवस्था मैंने तुम्हारे सामने रखी है, उस पर नहीं चलोगे, और मेरे सेवक नबियों की शिक्षाओं पर ध्यान नहीं दोगे, जिनको मैंने अविलम्ब तुम्हारे पास भेजा है (सच तो यह है कि तुमने उनके वचनों पर ध्यान नहीं दिया!), तो मैं यरूशलेम के इस मन्दिर को शिलोह के समान तहस-नहस कर दूंगा, और इस नगर को पृथ्वी की सब जातियों के लिए ‘शाप नगरी’ बना दूंगा।” ’ पुरोहितों, नबियों और मन्दिर में आराधना करनेवाले सब लोगों ने नबी यिर्मयाह को प्रभु के भवन में ये बातें कहते हुए सुना। जब यिर्मयाह प्रभु का यह वचन सब लोगों को सुना चुके जिसका आदेश प्रभु ने उनको दिया था, तब पुरोहितों और नबियों ने तथा मन्दिर में उपस्थित लोगों ने उनको पकड़ लिया, और कहा, ‘तुम जीवित नहीं रह सकते। तुम प्रभु के नाम में यह नबूवत क्यों कर रहे हो कि यह मन्दिर शीलोह के मन्दिर के समान तहस-नहस हो जाएगा, और यह नगर उजाड़ और निर्जन हो जाएगा?’ सब लोगों ने यिर्मयाह को प्रभु के भवन में घेर लिया। यहूदा प्रदेश के उच्चाधिकारियों ने यह खबर सुनी। वे राजमहल से निकलकर प्रभु के भवन में आए, और वहां मन्दिर के नव प्रवेश-द्वार पर आसन जमा कर बैठ गए। नबी यिर्मयाह का न्याय आरम्भ हुआ। पुरोहितों और नबियों ने उच्चाधिकारियों और जनता से कहा, ‘यह आदमी मृत्यु-दण्ड के योग्य है। आप लोगों ने स्वयं अपने कानों से सुना है कि इस ने हमारे इस नगर के विरुद्ध नबूवत की है।’
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