यिर्मयाह 15:15-21

यिर्मयाह 15:15-21 HINCLBSI

प्रभु, तू सब जानता है; मुझे स्‍मरण रख, मेरी सुधि ले। मेरे प्राण के खोजियों से प्रतिशोध ले। प्रभु, तू सहनशील है, अत: मुझे मरने से बचा ले। प्रभु, तुझे यह मालूम है कि मैंने तेरे कारण ही निन्‍दा सही है। जब मुझे तेरे वचन मिले तब मैंने उन्‍हें ऐसा ग्रहण किया था कि मानो मैं कोई स्‍वादिष्‍ट व्‍यंजन खा रहा हूं। तेरे वचन मेरे लिए हर्ष का कारण बन गए। वे मेरे हृदय का आनन्‍द थे। क्‍योंकि, हे स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु परमेश्‍वर, मैं तेरा नबी कहलाता हूं। मैं हंसी-मजाक करने वालों के साथ नहीं बैठता था; और न आनन्‍द मनाता था। मैं तो अकेला था, पर तेरा हाथ मुझ पर था। तूने ही मुझे क्रोध से भरा था। तब क्‍यों मेरी पीड़ा दूर नहीं हो रही है? मेरा घाव क्‍यों नहीं भर रहा है? क्‍या तू मेरे लिए मृग-तृष्‍णा बन गया है? क्‍या तू ऐसा झरना हो गया है, जो सूख जाता है? क्‍या तू गरजनेवाला बादल हो गया है; जो गरजता तो है पर बरसता नहीं? अत: प्रभु ने मुझसे यों कहा: ‘ओ यिर्मयाह, यदि तू पश्‍चात्ताप करे और मेरे पास लौटे तो मैं तुझे पुन: स्‍वीकार करूंगा; तुझे फिर अपनी सेवा में लूंगा। यदि तू केवल मेरे अनमोल वचन बोलेगा, और निरर्थक वचन नहीं कहेगा, तो तू निस्‍सन्‍देह मेरा मुंह कहलाएगा! तब लोग तेरी ओर लौटेंगे, और तुझे उनके पास लौटना न पड़ेगा। मैं तुझ को इन लोगों के लिए एक किलाबन्‍द नगर, एक कांस्‍य दीवार बना दूंगा। वे तुझसे लड़ेंगे, पर तुझको पराजित न कर पाएंगे। क्‍योंकि मैं तुझ को बचाने के लिए तुझ को उनके हाथ से छुड़ाने के लिए, तेरे साथ हूं, ‘यह प्रभु की वाणी है, ‘मैं दुर्जनों के हाथ से तुझे छुड़ाऊंगा; हिंसक व्यक्‍तियों के पंजे से तुझे मुक्‍त करूंगा।’