प्रभु ने इन जातियों को छोड़ दिया था, जिससे इनके द्वारा इस्राएलियों की उस पीढ़ी की परीक्षा ली जा सके, जिसे कनान के किसी भी युद्ध का व्यावहारिक ज्ञान नहीं था। यह इस्राएल की पीढ़ियों के हित में था कि वे युद्ध का ज्ञान प्राप्त करें। कम से कम वे इस्राएली लोग युद्ध-कला को सीखें जिन्हें पहले से युद्ध का व्यावहारिक ज्ञान नहीं था। प्रभु ने इन जातियों को छोड़ दिया था : पलिश्ती जाति के पांच नगर-राज्य, समस्त कनानी जाति, सीदोनी जाति, और हिव्वी जाति, जो बअल-हेर्मोन पहाड़ से हमात के प्रवेश-मार्ग तक लबानोन पहाड़ पर रहती थी। इन्हें इस्राएलियों की परीक्षा लेने के लिए छोड़ा गया था जिससे यह ज्ञात हो सके कि क्या इस्राएली प्रभु की उन आज्ञाओं का पालन करेंगे अथवा नहीं, जो प्रभु ने मूसा के द्वारा इस्राएलियों के पूर्वजों को दी थीं। अत: इस्राएली लोग कनानी, हित्ती, एमोरी, परिज्जी, हिव्वी और यबूसी जातियों के मध्य बस गए। उन्होंने उन की पुत्रियों से विवाह किया, और उनके पुत्रों के साथ अपनी पुत्रियों का विवाह किया। इस्राएली उन जातियों के देवताओं की सेवा भी करने लगे। इस्राएलियों ने वही कार्य किया जो प्रभु की दृष्टि में बुरा था। वे अपने प्रभु परमेश्वर को भूल गए, और बअल देवता तथा अशेराह देवी की पूजा-आराधना करने गए। प्रभु का क्रोध इस्राएलियों के प्रति भड़क उठा। उसने उन्हें मसोपोतामिया के राजा कूशन-रिश्आतइम के हाथ बेच दिया। इस्राएलियों ने आठ वर्ष तक कूशन-रिश्आतइम की गुलामी की। तब उन्होंने प्रभु की दुहाई दी। प्रभु ने इस्राएलियों के लिए एक उद्धारकर्ता नियुक्त किया, जिसने उनको छुड़ाया। वह कालेब के छोटे भाई कनज का पुत्र ओतनीएल था। प्रभु का आत्मा उस पर उतरा। उसने इस्राएलियों पर शासन किया। वह मसोपोतामिया के राजा कूशन-रिश्आतइम से युद्ध करने बाहर निकला। प्रभु ने राजा को उसके हाथ में सौंप दिया। कूशन-रिश्आतइम शासक ओतनीएल के अधीन हो गया। इस प्रकार इस्राएलियों के देश में चालीस वर्ष तक शान्ति रही। तब कनज के पुत्र ओतनीएल की मृत्यु हो गई।
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