याकूब 3:1-6

याकूब 3:1-6 HINCLBSI

मेरे भाइयो और बहिनो! आप लोगों में बहुत लोग गुरु न बनें, क्‍योंकि आप जानते हैं कि हम गुरुओं से अधिक कड़ाई से लेखा मांगा जायेगा। हम सब बारम्‍बार गलत काम करते हैं। जो कभी गलत बात नहीं कहता, वह पहुँचा हुआ मनुष्‍य है और वह अपने पूर्ण शरीर को नियंत्रण में रख सकता है। यदि हम घोड़ों को वश में रखने के लिए उनके मुँह में लगाम लगाते हैं, तो उनके सारे शरीर को इधर-उधर घुमा सकते हैं। जलयान का भी उदाहरण लीजिए। वह कितना ही बड़ा क्‍यों न हो और तेज हवा से भले ही बहाया जा रहा हो, तब भी वह कर्णधार की इच्‍छा के अनुसार एक छोटी-सी पतवार से चलाया जाता है। इसी प्रकार जीभ शरीर का एक छोटा-सा अंग है, किन्‍तु वह शक्‍तिशाली होने का दावा कर सकती है। देखिए, एक छोटी-सी चिनगारी कितने विशाल वन में आग लगा सकती है। जीभ भी एक आग है। उसमें अधर्म का संसार भरा पड़ा है। हमारे अंगों में जीभ ही है जो हमारा समस्‍त शरीर दूषित करती और नरकाग्‍नि से प्रज्‍वलित हो कर हमारे भव-चक्र में आग लगा देती है।

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