याकूब 2:1-26

याकूब 2:1-26 HINCLBSI

मेरे भाइयो और बहिनो! आप लोग हमारे माहिमान्‍वित प्रभु येशु मसीह में विश्‍वास करते हैं, इसलिए भेदभाव और चापलूसी से दूर रहिए। मान लीजिए कि आप लोगों की सभा में सोने की अंगूठी और कीमती वस्‍त्र पहने कोई व्यक्‍ति प्रवेश करता है और साथ ही फटे-पुराने कपड़े पहने कोई कंगाल। यदि आप कीमती वस्‍त्र पहने व्यक्‍ति का विशेष ध्‍यान रख कर उससे कहें, “आप यहाँ इस आसन पर विराजिए” और कंगाल से कहें, “तू वहाँ खड़ा रह” अथवा “मेरे पावदान के पास बैठ”, तो क्‍या आपने मन में भेदभाव नहीं आने दिया और गलत विचार के अनुसार निर्णय नहीं किया? मेरे प्रिय भाइयो और बहिनो! सुन लीजिए। क्‍या परमेश्‍वर ने उन लोगों को नहीं चुना है, जो संसार की दृष्‍टि में दरिद्र हैं, ताकि वे विश्‍वास के धनी हो जायें और उस राज्‍य के उत्तराधिकारी बनें, जिसे उसने अपने भक्‍तों को प्रदान करने की प्रतिज्ञा की है? तब भी आपने दरिद्र का तिरस्‍कार किया है। क्‍या धनी आप लोगों का शोषण नहीं करते और आप को अदालतों में घसीट कर नहीं ले जाते? क्‍या वे उस सुन्‍दर नाम की निन्‍दा नहीं करते, जिस से आप पुकारे जाते हैं? धर्मग्रन्‍थ कहता है, “तुम अपने पड़ोसी को अपने समान प्रेम करो।” यदि आप इसके अनुसार सुनहरी आज्ञा पूरी करते हैं, तो अच्‍छा करते हैं। किन्‍तु यदि आप पक्षपात करते हैं, तो पाप करते हैं और व्‍यवस्‍था के अनुसार दोषी ठहरते हैं। यदि कोई पूरी व्‍यवस्‍था का पालन करता है, किन्‍तु उसकी एक धारा का ही उल्‍लंघन करता है, तो वह समस्‍त व्‍यवस्‍था के प्रति अपराध करता है; क्‍योंकि जिसने कहा, “व्‍यभिचार मत करो,” उसने यह भी कहा, “हत्‍या मत करो।” इसलिए यदि आप व्‍यभिचार नहीं करते, किन्‍तु हत्‍या करते हैं, तो आप व्‍यवस्‍था का उल्‍लंघन करते हैं। आपकी बातचीत और आपका आचरण उन लोगों के सदृश हो, जिनका न्‍याय स्‍वतन्‍त्रता प्रदान करने वाली व्‍यवस्‍था के अनुसार किया जायेगा। जिसने दया नहीं दिखायी है, उसका न्‍याय दया के साथ नहीं किया जायेगा; किन्‍तु दया न्‍याय पर विजय पाती है। मेरे भाइयो और बहिनो! यदि कोई यह कहता है कि मैं विश्‍वास करता हूँ, किन्‍तु उसके अनुसार आचरण नहीं करता, तो इस से क्‍या लाभ? क्‍या विश्‍वास ही उसका उद्धार कर सकता है? मान लीजिए कि किसी भाई या बहिन के पास न पहनने के कपड़े हों और न दैनिक भोजन। यदि आप लोगों में से कोई उन से कहे, “शांति से जाइए, गरम-गरम कपड़े पहनिए और भर पेट खाइए”, किन्‍तु वह उन्‍हें शरीर के लिए आवश्‍यक वस्‍तुएँ नहीं दे, तो इस से क्‍या लाभ? इसी तरह कर्मों के अभाव में विश्‍वास अपने आप में निर्जीव होता है। और ऐसे मनुष्‍य से कोई कह सकता है, “तुम विश्‍वास करते हो, किन्‍तु मैं उसके अनुसार आचरण करता हूँ। मुझे अपना विश्‍वास दिखाओ जिस पर तुम नहीं चलते और मैं अपने आचरण द्वारा तुम्‍हें अपने विश्‍वास का प्रमाण दूँगा।” तुम विश्‍वास करते हो कि केवल एक परमेश्‍वर है। अच्‍छा करते हो। दुष्‍ट आत्‍माएं भी ऐसा विश्‍वास करती हैं और काँपती रहती हैं। मूर्ख! क्‍या तुम इसका प्रमाण चाहते हो कि कर्मों के अभाव में विश्‍वास व्‍यर्थ है? क्‍या हमारे पिता अब्राहम अपने कर्मों के कारण धार्मिक नहीं ठहराए गये, जब उन्‍होंने वेदी पर अपने पुत्र इसहाक को अर्पित किया? तुम देखते हो कि उनका विश्‍वास उनके कर्मों के साथ क्रियाशील था और उनके कर्मों द्वारा ही पूर्णता प्राप्‍त कर सका। इस प्रकार धर्मग्रन्‍थ का यह कथन पूरा हुआ, “अब्राहम ने परमेश्‍वर में विश्‍वास किया और इसी से वह धार्मिक माने गये और परमेश्‍वर के मित्र कहलाये।” आप लोग देखते हैं कि मनुष्‍य केवल विश्‍वास से नहीं, बल्‍कि कर्मों से धार्मिक ठहराया जाता है। इसी प्रकार वेश्‍या राहाब अपने कर्मों से धार्मिक ठहराई गई, क्‍योंकि उसने अपने घर में दूतों का स्‍वागत किया और उन्‍हें दूसरे रास्‍ते से विदा किया। जिस तरह आत्‍मा के बिना शरीर निर्जीव है, उसी तरह कर्मों के अभाव में विश्‍वास निर्जीव है।

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