यशायाह 65:17-25

यशायाह 65:17-25 HINCLBSI

‘देखो, मैं नया आकाश और नयी पृथ्‍वी बनाने जा रहा हूं। अतीत की बातें भुला दी जाएंगी, वे मन में भी नहीं आएंगी। जो मैं बनाने जा रहा हूं, उसके लिए आनन्‍द मनाओ, सदा-सर्वदा तक हर्षित रहो; क्‍योंकि मैं यरूशलेम को आनन्‍द का और उसके निवासियों को हर्ष का माध्‍यम बनाने जा रहा हूं। मैं स्‍वयं यरूशलेम में हर्षित, और अपने निज लोगों से आनन्‍दित होऊंगा। यरूशलेम नगर में फिर कभी न रोने का स्‍वर, और न सहायता के लिए पुकार सुनाई देगी। वहाँ न शिशु होगा, जो कुछ दिन जीवित रहकर असमय में मर जाएगा; और न ऐसे वृद्ध होंगे, जो पूर्ण आयु न भोगेंगे। प्रत्‍येक बालक शतायु होगा; जो व्यक्‍ति सौ वर्ष की उम्र के पहले मरेगा, वह शापित समझा जाएगा। ‘यरूशलेम निवासी अपने लिए मकान बनाएंगे, और वे उनमें रहेंगे भी। वे अंगूर-उद्यान लगाएंगे, और उनका फल भी खा सकेंगे। अब यह न होगा कि वे अपने लिए मकान बनाएं और उनके शत्रु उनमें रहें! वे अंगूर-उद्यान लगाएँ, पर उनका फल उनके बैरी खाएँ! मेरे निज लोगों की आयु वृक्ष की आयु के सदृश दीर्घ होगी। मेरे मनोनीत लोग दीर्घ काल तक अपनी मेहनत का फल खाएंगे। उनका परिश्रम निष्‍फल न होगा, उनकी सन्‍तान दु:ख के दिन न देखेगी, क्‍योंकि उनके माता-पिता को मुझ-प्रभु ने आशिष दी होगी, और उनके साथ उनकी संतान को भी। उनके पुकारने के पूर्व ही मैं उनको उत्तर दूंगा; उनकी प्रार्थना समाप्‍त भी न होगी कि मैं उसको सुन लूंगा। भेड़िया और मेमना एक-साथ चरेंगे सिंह बैल के समान भूसा खाएगा, सांप मिट्टी खाकर पेट भरेगा। वे मेरे पवित्र पर्वत पर किसी को हानि नहीं पहुँचाएंगे, और न किसी का अनिष्‍ट करेंगे।’ प्रभु की यह वाणी है।