यशायाह 58:6-9

यशायाह 58:6-9 HINCLBSI

जिस उपवास से मैं प्रसन्न होता हूं, वह यह है : दुर्जनता के बन्‍धकों से मनुष्‍य को मुक्‍त करना, व्यक्‍ति की गरदन से जूआ उतारना, अत्‍याचार की गुलामी में कैद इन्‍सान को स्‍वतन्‍त्र करना, वस्‍तुत: हर प्रकार की गुलामी से मनुष्‍य को स्‍वतंत्र करना। अपना भोजन भूखों को खिलाना, बेघर गरीब को अपने घर में जगह देना, किसी को नंगे देखकर उसे कपड़े पहिनाना, अपने जरूरतमन्‍द भाई-बहिन से मुंह न छिपाना। तब तेरे आनन्‍द का प्रकाश प्रात: के पौ फटने के सदृश चमकेगा। तेरा घाव अति शीघ्र भरेगा। तेरी धार्मिकता मार्ग में तेरे आगे-आगे तेरा मार्गदर्शन करेगी, और प्रभु की महिमा तेरे पीछे-पीछे रक्षक बनकर तेरी रक्षा करेगी। तब तू मुझ-प्रभु को संकट में पुकारेगा और वह तुझको उत्तर देगा। तू उसकी दुहाई देगा, और वह तुझसे कहेगा: ‘मैं प्रस्‍तुत हूं।’