यशायाह 55:3-11

यशायाह 55:3-11 HINCLBSI

मेरी ओर कान दो, और मेरे पास आओ। मेरी बात सुनो, ताकि तुम्‍हारा प्राण जीवित रहे। तब मैं दाऊद के प्रति अपनी अटूट करुणा के कारण तुम्‍हारे साथ शाश्‍वत विधान स्‍थापित करूंगा। देखो, मैंने दाऊद को राष्‍ट्रों के लिए गवाह नियुक्‍त किया है; वह कौमों का नेता और आदेश देनेवाला नायक है। तू उन राष्‍ट्रों को बुलाएगा, जिनको तू नहीं जानता है; और जो राष्‍ट्र तुझको नहीं जानते हैं, वे तेरे पास दौड़कर आएंगे। तेरे प्रभु परमेश्‍वर के कारण, इस्राएल के पवित्र परमेश्‍वर के कारण वे तेरे पास आएंगे, क्‍योंकि उसने तेरा गौरव बढ़ाया है। जब तक प्रभु मिल सकता है, उसको ढूंढ़ लो। जब तक वह समीप है, उसको पुकार लो। दुर्जन मनुष्‍य अपने मार्ग को छोड़ दे, और अधार्मिक व्यक्‍ति अपने बुरे विचारों को। वह प्रभु की ओर लौटे, जिससे प्रभु उस पर दया करे। वह हमारे परमेश्‍वर के पास आए; क्‍योंकि प्रभु उसे पूर्णत: क्षमा करेगा। प्रभु यह कहता है : ‘मेरे विचार तुम्‍हारे विचारों के समान नहीं हैं, और न तुम्‍हारे मार्ग मेरे मार्गों के सदृश हैं। पृथ्‍वी से जितना दूर आकाश है, उतने ही दूर मेरे मार्ग से तुम्‍हारे मार्ग हैं; उतने ही तुम्‍हारे विचार मेरे विचारों से दूर हैं। ‘आकाश से हिम गिरता है, और वर्षा की बूंदे टपकती हैं; वे लौटकर आकाश को नहीं जातीं, वरन् पृथ्‍वी पर भूमि को सींचती हैं। वे अन्न को उपजाती हैं; और बोनेवाले को बीज और खानेवाले को भोजन प्राप्‍त होता है। ऐसे ही जो शब्‍द मेरे मुंह से निकलता है, वह मेरे पास खाली नहीं लौटेगा; वरन् जिस उद्देश्‍य से मैंने उसको उच्‍चारा था, वह उसको पूरा करेगा; जिसके लिए मैंने उसको भेजा था, वह उसको सफल करेगा।’