ओ आकाश, आनन्द से गा; ओ पृथ्वी, हर्ष से मगन हो। ओ पर्वतो, जयजयकार से गूंज उठो। क्योंकि प्रभु ने अपने निज लोगों को शान्ति प्रदान की है; उसने दु:खी जनों पर दया की है। सियोन नगरी ने यह कहा था, ‘प्रभु ने मुझे त्याग दिया है, मेरे स्वामी ने मुझे भुला दिया है।’ पर प्रभु कहता है: ‘क्या यह हो सकता है कि मां अपने दूध पीनेवाले शिशु को भूल जाए, अपने गर्भ से उत्पन्न हुए बच्चे पर दया न करे? हो सकता है कि मां अपने बच्चे को भूल भी जाए, पर मैं तुझे नहीं भूलूंगा। देख, मैंने तेरा चित्र अपनी हथेलियों पर खोदा है; तेरी शहरपनाह मेरी आंखों के सम्मुख निरन्तर विद्यमान है।
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