मूर्ति गढ़नेवालों का अस्तित्व निस्सार है, उनकी प्रिय मूर्तियों से कोई लाभ नहीं! मूर्तियों के समर्थक जो उनको अपना ईश्वर मानते हैं, न देखते हैं और न जानते हैं। वे लज्जित होंगे। कौन देवता की मूर्ति बनाता, अथवा उसको गढ़ता है, जब कि उससे किसी को लाभ नहीं होता? मूर्तिकार के सहयोगी भी लज्जित होंगे, कारीगर तो मनुष्य ही हैं। सब कारीगर एकत्र हों। वे मेरे सम्मुख खड़े हों। मैं उनको आतंकित करूंगा, वे सबके सब लज्जित होंगे।
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