यशायाह 42:1-7

यशायाह 42:1-7 HINCLBSI

यह है मेरा सेवक! इसको मैं सम्‍भाले हुए हूं। यह मेरा मनोनीत है! इससे मैं प्रसन्न हूं। मैंने इसको अपना आत्‍मा प्रदान किया है, जिससे वह राष्‍ट्रों में न्‍याय की स्‍थापना करे। वह न चिल्‍लाएगा, और न ऊंचे स्‍वर में शोर मचाएगा, वह न गली-कूचों में आवाज देगा। वह मुड़े हुए सरकंडे को तोड़ेगा नहीं, वह टिमाटिमाते हुए दीपक को बुझाएगा नहीं। वह सच्‍चाई से न्‍याय की स्‍थापना करेगा। जब तक वह पृथ्‍वी पर न्‍याय की स्‍थापना नहीं कर लेगा तब तक उसका उत्‍साह बुझेगा नहीं, वह हिम्‍मत नहीं हारेगा। द्वीप उसके धर्म-नियमों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। प्रभु परमेश्‍वर, जिसने आकाश को बनाया और उसको विस्‍तृत फैलाया है, जिसने पृथ्‍वी और उस पर होनेवाली प्रत्‍येक वस्‍तु की रचना की है; जो पृथ्‍वी के सब लोगों में प्राण डालता है, जो पृथ्‍वी पर विचरनेवालों को आत्‍मा प्रदान करता है, वह यों कहता है: ‘मैं प्रभु हूं; मैंने तुझे धार्मिक अभिप्राय से बुलाया है। मैंने तेरा हाथ थामकर तुझे सहारा दिया है। मैंने तुझे कौम के लिए विधान और राष्‍ट्रों के लिए ज्‍योति नियुक्‍त किया है, ताकि तू अंधी आंखों को दृष्‍टि प्रदान करे, बन्‍दियों को बन्‍दीगृह से बाहर निकाले, कारागार के अंधकार में बैठे हुओं को बाहर प्रकाश में लाए।

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