यह है मेरा सेवक! इसको मैं सम्भाले हुए हूं। यह मेरा मनोनीत है! इससे मैं प्रसन्न हूं। मैंने इसको अपना आत्मा प्रदान किया है, जिससे वह राष्ट्रों में न्याय की स्थापना करे। वह न चिल्लाएगा, और न ऊंचे स्वर में शोर मचाएगा, वह न गली-कूचों में आवाज देगा। वह मुड़े हुए सरकंडे को तोड़ेगा नहीं, वह टिमाटिमाते हुए दीपक को बुझाएगा नहीं। वह सच्चाई से न्याय की स्थापना करेगा। जब तक वह पृथ्वी पर न्याय की स्थापना नहीं कर लेगा
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