यशायाह 40:21-28

यशायाह 40:21-28 HINCLBSI

क्‍या तुम नहीं जानते? क्‍या तुमने नहीं सुना? क्‍या तुम्‍हें प्राचीन काल से नहीं बताया गया? जब से पृथ्‍वी की नींव डाली गई, सृष्‍टि के आरम्‍भ से ही तुम्‍हें यह समझाया जाता रहा है कि वह प्रभु ही है जो पृथ्‍वी के चक्र के ऊपर विराजमान है। और हम, पृथ्‍वी के निवासी, मात्र टिड्डियां हैं! प्रभु आकाश को वितान के समान तानता है, उसको तम्‍बू के समान फैलाता है ताकि मनुष्‍य उस के नीचे रह सकें। जो सामन्‍तों का अस्‍तित्‍व मिटा देता है, जो पृथ्‍वी के शासकों को नगण्‍य बना देता है, वह प्रभु ही है। अभी-अभी वे रोपे गए थे, अभी-अभी वे बोए गए थे, अभी-अभी उनकी ठूंठ ने जड़ पकड़ी थी कि प्रभु ने उन पर पवन बहाया, और वे सूख गए। तूफान उन्‍हें भूसे की तरह उड़ा ले गया। पवित्र परमेश्‍वर पूछता है, “तुम किससे मेरी तुलना करोगे? मैं किस के समान हूं? आकाश की ओर आंखें उठाओ, और देखो: इन तारों को किसने रचा है? मैं-प्रभु ने! मैं सेना के सदृश उनकी गणना करता हूं; और हर एक तारे को उसके नाम से पुकारता हूं। मेरी शक्‍ति असीमित है, मेरा बल अपार है, अत: प्रत्‍येक तारा मुझे उत्तर देता है।” ओ याकूब, तू यह क्‍यों कहता है; ओ इस्राएल, तू क्‍यों बोलता है कि तेरा आचरण प्रभु से छिपा है? तेरा परमेश्‍वर तेरे अधिकार पर ध्‍यान नहीं देता है? क्‍या तुम नहीं जानते? क्‍या तुमने नहीं सुना? प्रभु शाश्‍वत परमेश्‍वर है, वह समस्‍त पृथ्‍वी का सृष्‍टिकर्ता है। वह न निर्बल है, और न थकता है। उसकी समझ अगम है!

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