यशायाह 35:1-10

यशायाह 35:1-10 HINCLBSI

निर्जन प्रदेश और निर्जल क्षेत्र आनन्‍द मनाएंगे; मरुस्‍थल हर्षित होगा; वह फूलेगा-फलेगा। केसर के उद्यान की तरह वह फूलों से भर जाएगा; वह आनन्‍द के गीत गाएगा, और हर्ष मनाएगा। प्रभु उसको लबानोन की महिमा, कर्मेल और शारोन का प्रताप प्रदान करेगा। वे प्रभु की महिमा, हमारे परमेश्‍वर का प्रताप देखेंगे। कमजोर हाथों में शक्‍ति भरो, निर्बल घुटनों को बलवान बनाओ, भयभीत हृदयवालों से यह कहो: “साहसी बनो: मत डरो। देखो, तुम्‍हारा परमेश्‍वर आएगा; वही प्रतिशोध लेगा; वह बदला लेगा; वह निस्‍सन्‍देह आएगा, और तुम्‍हें बचाएगा।” तब अन्‍धों की आंखें खुल जाएंगी, बहरों को कानों से सुनाई देने लगेगा! लंगड़ा भी हिरन के समान छलांग मारेगा! गूंगे की जीभ आनन्‍द के गीत गाएगी! निर्जन प्रदेश में जल-धाराएं बहेंगी! मरुस्‍थल में झरने फूटेंगे! गर्म रेतीली भूमि तालाब बन जाएगी, प्‍यासी धरती जल-स्रोतों में बदल जाएगी! जहां गीदड़ घूमते-फिरते हैं, वहां अब कांस और सरकंडे होंगे! वहां एक राजमार्ग होगा, वह ‘पवित्र मार्ग’ कहलाएगा। कोई अपवित्र प्राणी उस पर नहीं चलेगा। मूर्ख उस पर पैर भी नहीं रख सकेंगे। वहां सिंह भी नहीं रहेगा, और न कोई खूंखार पशु उस पर चलेगा। ये पशु वहां नहीं पाए जाएंगे। केवल वे ही लोग उस मार्ग पर चलेंगे, जिनको प्रभु ने मुक्‍त किया है। प्रभु के द्वारा मुक्‍त किए गए लोग सियोन को लौटेंगे; वे हर्ष के गीत गाते हुए आएंगे। शाश्‍वत आनन्‍द से उनके मुख चमकते होंगे। उन्‍हें हर्ष और सुख प्राप्‍त होगा; उनके दु:ख और आहों का अन्‍त हो जाएगा।