यशायाह 26:3-13

यशायाह 26:3-13 HINCLBSI

प्रभु! जो व्यक्‍ति अपने मन को सदा तुझ में लीन रखता है, उसको तू पूर्ण शान्‍त जीवन प्रदान करता है, क्‍योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है।” राष्‍ट्र के लोगो, प्रभु पर सदा भरोसा करो; क्‍योंकि प्रभु स्‍वयं शाश्‍वत चट्टान है : वह सदा हमारी रक्षा करता है। उच्‍च स्‍थान पर रहनेवालों को, उच्‍च स्‍थित नगर के निवासियों को प्रभु ने नीचा दिखाया है। उसने अहंकारी नगर को धूल में मिला दिया है, उसे भूमि पर ध्‍वस्‍त कर दिया है। अब लोगों के पांव उसको रौंदते हैं; गरीबों के पैर, दरिद्रों के पग उसको कुचलते हैं। धार्मिक व्यक्‍ति का मार्ग समतल होता है, क्‍योंकि प्रभु, तू उसके मार्ग को सीधा बनाता है। प्रभु, हम भी तेरे न्‍याय-मार्ग पर तेरी प्रतीक्षा करते हैं। तेरा स्‍मरणीय नाम लेने के लिए हमारे प्राण उत्‍सुक हैं। मेरे प्राण रात में तेरे लिए तरसते हैं, मेरी आत्‍मा मेरे अन्‍त: में तुझे ढूंढ़ती है। जब तेरे न्‍याय-सिद्धान्‍त पृथ्‍वी पर प्रबल होते हैं, तब संसार के निवासी धर्म को सीखते हैं। यदि दुर्जन पर दया भी की जाए तो भी वह धर्म को नहीं सीखेगा। वह धर्म-परायण देश में भी दुराचरण करता है, वह प्रभु की प्रभुता नहीं देखता! प्रभु, न्‍याय करने के लिए तेरा हाथ उठा हुआ है; पर वे उसे नहीं देख रहे हैं। वे तेरे निज लोगों के प्रति तेरा उत्‍साह देखें, और तब वे लज्‍जित हों। शत्रुओं के प्रति तेरी क्रोधाग्‍नि उन्‍हें भस्‍म कर दे। प्रभु, तू ही हमारे लिए शान्‍ति स्‍थापित करेगा, जो कुछ हमने किया, उसका करनेवाला वस्‍तुत: तू ही था! हे हमारे प्रभु परमेश्‍वर, तेरे अतिरिक्‍त अन्‍य स्‍वामियों ने हम पर शासन किया, पर हम केवल तेरा नाम स्‍मरण करते हैं।