क्योंकि स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु तीनों देशों को यह आशिष देगा : “धन्य हैं मिस्र-निवासी: तुम मेरे निज लोग हो। धन्य है असीरिया राष्ट्र : तू मेरे हाथों की रचना है। धन्य है इस्राएली राष्ट्र : तू मेरी मीरास है।”
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