‘ओ भोर के चमकते तारे,
ओ उषा-पुत्र,
आकाश से तू कैसे नीचे गिर गया!
अरे, तूने तो राष्ट्रों को धूल-धूसरित किया था।
अब तू कैसे स्वयं भूमि की धूल चाट रहा है!
तूने अपने हृदय में सोचा था,
“मैं आकाश पर चढ़ूंगा,
परमेश्वर के तारों के ऊपर,
ऊंचे से ऊंचे स्थान पर
मैं अपना सिंहासन प्रतिष्ठित करूंगा।
मैं दूरस्थ उत्तर में स्थित
‘देवताओं के पर्वत’ पर विराजूंगा।
मैं बादलों के ऊपर
उच्चतम स्थान पर चढ़ूंगा,
मैं स्वयं को
सर्वोच्च परमेश्वर के तुल्य बनाऊंगा।”
किन्तु तुझे अधोलोक में,
अतल गड्ढे में नीचे उतार दिया गया।
तुझे देखनेवाले
आंखें फाड़-फाड़कर तुझे ताकेंगे।
वे तेरे विषय में यह सोचेंगे,
“क्या यह वही सम्राट है,
जिसने सारी पृथ्वी को कंपा दिया था,
जिसने राज्यों को हिला दिया था?
इसने ही दुनिया को रेगिस्तान बना दिया था;
जिन नगरों ने
इसके बन्दियों को उनके घर लौटने नहीं
दिया था,
उनको इसने उलट-पुलट दिया था।
क्या यह वही सम्राट है?”
सब राष्ट्रों के राजा अपनी-अपनी कबर में
राजसी वैभव के साथ सो रहे हैं।
पर तू, ओ बेबीलोन के सम्राट!
घृणित गर्भपात के समान
बिना दफनाए ही फेंक दिया गया!
तू अपने सैनिकों की लाशों से लिपटा है,
जो तलवार से मौत के घाट उतारे गए थे,
जो अधोलोक के चट्टानी गड्ढों में फेंक दिए
गए थे।
तू पैरों से कुचली हुई लाश है!
उनके साथ तुझे सम्मानपूर्वक दफनाया नहीं
जाएगा;
क्योंकि तूने अपने देश को बर्बाद किया,
तूने अपनी प्रजा का वध किया।
‘दुष्कर्मियों के वंशजों के नाम भी शेष न
रहें।
उनके पूर्वजों के पाप के कारण
उनका भी वध किया जाएगा।
अत: सम्राट के पुत्रों के लिए
एक वध-स्थान तैयार करो;
अन्यथा वे उठेंगे, और पृथ्वी पर अधिकार
जमा लेंगे।
वे नए-नए नगरों से पृथ्वी की सतह को भर
देंगे।’
स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है, “मैं बेबीलोन के विरुद्ध उठूंगा, और उसका नाम और निशान मिटा डालूंगा; मैं उसकी सन्तान को, उसके वंशजों को निर्मूल कर दूंगा। मैं उसे साहियों की मांद बना दूंगा। मैं उसको सागर बना दूंगा। मैं विनाश की झाड़ से उसको झाड़ूंगा।” सेनाओं के प्रभु ने यह कहा है।
स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु ने यह शपथ
खाई :
“जैसा मैंने निश्चय किया है, वैसा ही
होगा;
जो योजना मैंने बनाई है, वह पूरी होगी।
मैं अपने देश में असीरिया को टुकड़े-टुकड़े
करूंगा,
मैं अपने पहाड़ों पर उसे पैरों तले रौंदूंगा।
उसके दासत्व का जूआ
इस्राएलियों की गर्दन से उठ जाएगा;
उनके कन्धों से गुलामी का बोझ हट
जाएगा।”
सम्स्त पृथ्वी के सम्बन्ध में
प्रभु ने यही निश्चय किया है;
समस्त राष्ट्रों के उद्धार के लिए
प्रभु ने अपना हाथ बढ़ाया है।
जब सेनाओं के प्रभु ने यह निश्चय किया है
तो उसके निश्चय को
कौन बदल सकता है?
जब उसने अपना हाथ बढ़ा दिया है
तो कौन उसे मोड़ सकता है?
जिस वर्ष यहूदा प्रदेश के राजा आहाज
की मृत्यु हुई, यह नबूवत की गई:
ओ पलिश्ती राज्य-संघ!
आनन्द मत मना,
कि जिस लाठी से तुझे पीटा जाता था,
वह टूट गई!
पर जैसे जड़ से अंकुर फूटता है,
वैसे सर्प से काला नाग उत्पन्न होगा।
वह बढ़कर
उड़नेवाला सर्पासुर बन जाएगा!
तब गरीबों के ज्येष्ठ पुत्रों का पालन पोषण
होगा;
दरिद्र भी निश्चिन्त निवास करेंगे।
पर, ओ पलिश्ती राज्य-संघ!
तेरे वंश को वह अकाल से मार डालेगा,
और जो शेष बच जाएंगे,
उनका भी वध करेगा।
नगर के प्रवेश-द्वार पर विलाप करो,
नगरों में सहायता के लिए दुहाई दो।
ओ पलिश्तियों,
डर से मूर्च्छित हो जाओ।
उत्तर दिशा से महाकाल की आंधी आ रही है!
शत्रु सेना का एक भी सैनिक
पीछे नहीं छूटेगा।
राष्ट्र के राजदूतों को
क्या उत्तर देना चाहिए?
यह कि प्रभु ने सियोन की नींव डाली है,
उसकी प्रजा के दु:खी जन उसमें शरण लेंगे।