इब्रानियों 10:19-39

इब्रानियों 10:19-39 HINCLBSI

भाइयो और बहिनो! अब हम पूर्ण भरोसा करते हैं कि येशु के रक्‍त द्वारा हम “पवित्र-स्‍थान” में प्रवेश कर सकते हैं। उन्‍होंने हमारे लिए एक नवीन तथा जीवन्‍त मार्ग खोल दिया, जो उनकी देह रूपी परदे से हो कर जाता है। अब हमें एक महान् पुरोहित प्राप्‍त हैं, जो परमेश्‍वर के भवन पर नियुक्‍त किये गये हैं। इसलिए हम अपने दोषी अंत:करण से शुद्ध होने के लिए हृदय पर छिड़काव कर और अपने शरीर को स्‍वच्‍छ जल से धो कर निष्‍कपट हृदय से तथा पूर्ण विश्‍वास के साथ परमेश्‍वर के पास आएं। हम अपनी आशा की साक्षी देने में अटल एवं दृढ़ बने रहें, क्‍योंकि जिसने हमें वचन दिया है, वह विश्‍वसनीय है। हमें इस बात का ध्‍यान रखना चाहिए कि हम किस प्रकार प्रेम तथा परोपकार के लिए एक दूसरे को प्रोत्‍साहित कर सकते हैं। हम अपनी सभाओं में एकत्र होना न छोड़ें, जैसा कि कुछ लोग किया करते हैं, बल्‍कि हम एक दूसरे को ढाढ़स बंधाएं। जब आप उस दिन को निकट आते देख रहे हैं, तो ऐसा करना और भी आवश्‍यक हो जाता है। क्‍योंकि सत्‍य का ज्ञान प्राप्‍त करने के बाद भी यदि हम जान-बूझ कर पाप करते रहते हैं, तो पापों के लिए कोई बलि शेष नहीं रह जाती, एक भयानक आशंका ही शेष रह जाती है−न्‍याय की, और एक भीषण अग्‍नि की, जो विद्रोहियों को निगल जाना चाहती है। जो व्यक्‍ति मूसा की व्‍यवस्‍था का उल्‍लंघन करता है, यदि उसे दो या तीन गवाहों के आधार पर निर्ममता से प्राण-दण्‍ड दिया जाता है, तो आप लोग विचार करें कि जो व्यक्‍ति परमेश्‍वर के पुत्र का तिरस्‍कार करता है, विधान के उस रक्‍त को तुच्‍छ समझता है जिस के द्वारा वह पवित्र किया गया था, और अनुग्रह के आत्‍मा का अपमान करता है, तो ऐसा व्यक्‍ति कितने घोर दण्‍ड के योग्‍य समझा जायेगा; क्‍योंकि हम जानते हैं कि किसने यह कहा है, “प्रतिशोध लेना मेरा अधिकार है, मैं ही बदला लूँगा” और फिर, “प्रभु अपनी प्रजा का न्‍याय करेगा।” जीवन्‍त परमेश्‍वर के हाथ पड़ना कितनी भयंकर बात है! आप लोग उन बीते दिनों को स्‍मरण करें जब आप ज्‍योति मिलने के तुरन्‍त बाद, दु:खों के घोर संघर्ष का सामना करते हुए, दृढ़ बने रहे। आप लोगों में कुछ को सब के देखते-देखते अपमान और अत्‍याचार सहना पड़ा, अथवा कुछ को ऐसी स्‍थिति में पड़े हुओं के भागीदार बनना पड़ा। आपने बन्‍दियों से सहानुभूति रखी और जब आप लोगों की धन-सम्‍पत्ति जब्‍त की गयी, तो आप ने यह सहर्ष स्‍वीकार किया; क्‍योंकि आप जानते थे कि इससे कहीं अधिक उत्तम और चिरस्‍थायी सम्‍पत्ति आपके पास विद्यमान है। इसलिए आप लोग अपना वह पूर्ण भरोसा नहीं छोड़ें-इसका पुरस्‍कार महान् है। आप लोगों को धैर्य की आवश्‍यकता है, जिससे परमेश्‍वर की इच्‍छा पूरी करने के बाद आप को वह मिल जाये, जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्‍वर कर चुका है; क्‍योंकि धर्मग्रन्‍थ यह कहता है, “जो आने वाला है, वह थोड़े ही समय बाद आयेगा। वह देर नहीं करेगा। मेरा धार्मिकजन विश्‍वास के द्वारा जीवन प्राप्‍त करेगा; किन्‍तु यदि कोई पीछे हटे, तो मैं उस पर प्रसन्न नहीं होऊंगा।” हम उन लोगों में से नहीं हैं, जो हटने के कारण नष्‍ट हो जाते हैं, बल्‍कि हम उन लोगों में से हैं, जो अपने विश्‍वास द्वारा जीवन प्राप्‍त करते हैं।

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