इब्रानियों 10:1-18

इब्रानियों 10:1-18 HINCLBSI

व्‍यवस्‍था भावी कल्‍याण का वास्‍तविक रूप नहीं, उसकी छाया मात्र दिखाती है। उसके नियमों के अनुसार प्रतिवर्ष बलि ही बलि चढ़ायी जाती है। व्‍यवस्‍था उन बलियों के द्वारा आराधकों को सदा के लिए पूर्णता तक पहुँचाने में असमर्थ है। यदि वह इस में समर्थ होती, तो बलि चढ़ाना समाप्‍त हो जाता; क्‍योंकि तब आराधक एक ही बार में शुद्ध हो जाते और उन में पाप का बोध नहीं रहता। किन्‍तु अब तो उन बलियों द्वारा प्रतिवर्ष पापों का स्‍मरण दिलाया जाता है। साँड़ों तथा बकरों का रक्‍त पाप नहीं हर सकता, इसलिए मसीह ने संसार में आ कर यह कहा : “तूने न तो यज्ञ चाहा और न चढ़ावा, किन्‍तु तूने मेरे लिए एक शरीर तैयार किया है। तू न तो होम-बलि से प्रसन्न हुआ और न पाप- बलि से; इसलिए मैंने कहा—हे परमेश्‍वर! मैं तेरी इच्‍छा पूरी करने आया हूँ, जैसा कि धर्मग्रन्‍थ के कुण्‍डल पत्र में मेरे विषय में लिखा हुआ है।” ऊपर के उद्धरण में मसीह का कथन है, “तूने यज्ञ, चढ़ावा, होम-बलि अथवा पाप-बलि नहीं चाही। तू उन से प्रसन्न नहीं हुआ” यद्यपि ये सब बलि व्‍यवस्‍था के अनुसार ही चढ़ायी जाती हैं। तब मसीह का यह भी कथन है, “देख, मैं तेरी इच्‍छा पूरी करने आया हूँ।” इस प्रकार वह पहले को रद्द करते और दूसरे का प्रवर्त्तन करते हैं। उसी ईश्‍वरीय इच्‍छा के अनुसार, येशु मसीह की देह के अर्पण द्वारा, जो सदा के लिए एक ही बार सम्‍पन्न हुआ, हम पवित्र किये गये हैं। प्रत्‍येक पुरोहित खड़ा होकर प्रतिदिन धर्म-अनुष्‍ठान करता है और निरन्‍तर निर्धारित बलियां चढ़ाया करता है, जो पापों को कदापि दूर नहीं कर सकती हैं। किन्‍तु मसीह, पापों के लिए एक ही बलि चढ़ाने के बाद, सदा के लिए परमेश्‍वर की दाहिनी ओर विराजमान हो गये हैं, जहाँ वह उस समय की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जब उनके शत्रु उनके चरणों की चौकी बनेंगे। मसीह ने अपने एकमात्र अर्पण द्वारा उन लोगों को सदा के लिए पूर्णता तक पहुँचा दिया है, जिनको वह पवित्र करते हैं। इसके सम्‍बन्‍ध में पवित्र आत्‍मा की साक्षी भी हमारे पास है। क्‍योंकि धर्मग्रन्‍थ में प्रभु के इस कथन के पश्‍चात् कि “समय आने पर मैं उनके लिए यह विधान निर्धारित करूँगा”, प्रभु कहता है : “मैं अपने नियम उनके हृदय में रखूंगा, मैं उन्‍हें उनके मन पर अंकित करूँगा और मैं उनके पापों और अपराधों को स्‍मरण भी नहीं रखूंगा।” जब पाप क्षमा कर दिये गये हैं, तो फिर पाप के लिए बलि-अर्पण की आवश्‍यकता नहीं रही।