परमेश्वर ने नूह एवं उन समस्त वन-पशुओं और पालतू पशुओं की सुध ली, जो जलयान में उसके साथ थे। उसने पृथ्वी पर हवा बहायी और जल घटने लगा। अतल सागर के झरने तथा आकाश के झरोखे बन्द हो गए। आकाश से वर्षा भी रुक गई, और जल पृथ्वी पर धीरे-धीरे घटने लगा। एक सौ पचासवें दिन जल घट गया और जलयान सातवें महीने के सत्रहवें दिन अरारट नामक पर्वत पर टिक गया। जल दसवें महीने तक घटता चला गया। दसवें महीने के पहले दिन पहाड़ों के शिखर दिखाई दिए।
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