जब मनुष्यों की संख्या भूमि पर बढ़ने लगी, और उनको कन्याएं भी उत्पन्न हुईं तब ईश-पुत्रों ने मनुष्य की पुत्रियों को देखा कि वे सुन्दर हैं। उन्होंने उनमें से जिन कन्याओं को पसन्द किया, उनको पत्नी बना लिया। प्रभु ने कहा, ‘मेरा आत्मा मनुष्य में सदा निवास न करेगा; क्योंकि मनुष्य शरीर मात्र है। उसका जीवनकाल एक सौ बीस वर्ष का होगा।’ उन दिनों पृथ्वी पर दानव थे। वे तब भी थे, जब ईश-पुत्रों ने मनुष्य की पुत्रियों से सहवास किया था। उनसे जो पुत्र उत्पन्न हुए, वे प्राचीनकाल के शक्तिशाली और सुप्रसिद्ध वीर थे। प्रभु ने देखा कि पृथ्वी पर मनुष्य का दुराचार बढ़ गया है, और उसके मन के सारे विचार निरन्तर बुराई के लिए ही होते हैं। इस बात से प्रभु को दु:ख हुआ कि उसने पृथ्वी पर मनुष्य को बनाया। उसके हृदय को बड़ी ठेस पहुंची। प्रभु ने कहा, ‘मैं मनुष्य को पृथ्वी की सतह से मिटा दूंगा, जिसको मैंने रचा था। मैं मनुष्यों को, पशुओं को, रेंगनेवाले जन्तुओं और आकाश के पक्षियों को नष्ट करूंगा; क्योंकि मुझे इस बात का दु:ख है कि मैंने उन्हें बनाया।’ किन्तु नूह पर प्रभु की कृपा-दृष्टि थी। यह नूह के परिवार का वृत्तान्त है। नूह भक्त पुरुष था। वह अपने समय के लोगों में सर्वाधिक निर्दोष था। वह परमेश्वर का सहचर था। उससे तीन पुत्र उत्पन्न हुए : शेम, हाम और याफत। परमेश्वर की दृष्टि में पृथ्वी भ्रष्ट हो गई थी। वह हिंसा से भर गई थी। परमेश्वर ने पृथ्वी को देखा कि वह भ्रष्ट हो गई है; क्योंकि समस्त प्राणियों ने पृथ्वी पर अपना आचरण भ्रष्ट कर लिया था। परमेश्वर ने नूह से कहा, ‘मैंने समस्त प्राणियों का अन्त करने का निश्चय किया है। उनके कारण पृथ्वी हिंसा से भर गई है। मैं पृथ्वी सहित उनको नष्ट करूंगा।
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