उत्‍पत्ति 50:1-11

उत्‍पत्ति 50:1-11 HINCLBSI

यूसुफ अपने पिता के मुख पर गिर कर रोने लगा। उसने पिता का चुम्‍बन लिया। यूसुफ ने अपने कर्मचारियों, वैद्यों को आदेश दिया कि वे उसके पिता के शव पर मसाले का लेप लगाएँ। वैद्यों ने शव पर मसाले का लेप लगाया। इस संलेपन-कार्य में चालीस दिन लगे; क्‍योंकि शव पर मसाले का लेप लगाने के लिए इतने ही दिन लगते हैं। मिस्र के निवासियों ने याकूब के लिए सत्तर दिन तक शोक मनाया। जब शोक के दिन समाप्‍त हुए तब यूसुफ ने फरओ के राजपरिवार से कहा, ‘यदि आप लोगों की कृपादृष्‍टि मुझ पर हो तो फरओ से यह बात कहिए: “मेरे पिता ने मुझे इन शब्‍दों में शपथ खिलाई थी : देख मेरी मृत्‍यु निकट है। जो कबर मैंने कनान देश में अपने लिए खोदी है, वहीं तू मुझे गाड़ना।” अब कृपया मुझे जाने दीजिए कि मैं अपने पिता के शव को गाड़ दूं। तत्‍पश्‍चात् मैं लौट आऊंगा।’ फरओ ने उत्तर दिया, ‘जाओ, और तुम्‍हारे पिता ने जैसी शपथ तुम्‍हें खिलाई थी, उसी के अनुसार अपने पिता को गाड़ो।’ अत: यूसुफ अपने पिता को गाड़ने के लिए गया। उसके साथ फरओ के कर्मचारी, उसके राजपरिवार के मुखिया एवं मिस्र देश के समस्‍त गण्‍यमान्‍य व्यक्‍ति, यूसुफ के परिवार के लोग, उसके भाई और उसके पिता के परिवार के लोग भी गए। किन्‍तु वे अपने बच्‍चों, भेड़-बकरियों और गाय-बैलों को गोशेन प्रदेश में छोड़ गए। यूसुफ के साथ रथ और घुड़सवार भी गए। इस प्रकार शव-यात्रा में विशाल जनसमूह हो गया। जब वे यर्दन नदी के किनारे पर स्‍थित ‘आटद का खलियान’ नामक स्‍थान पर पहुँचे, तब उन्‍होंने अत्‍यन्‍त शोक मनाया। यूसुफ ने भी अपने पिता के लिए सात दिन तक शोक किया। अब उस नगर के रहने वाले कनानी लोगों ने आटद के खलियान में लोगों को शोक मनाते देखा तब कहा, ‘यह मिस्र के निवासियों का अत्‍यन्‍त दु:खपूर्ण शोक है।’ इसी कारण उस स्‍थान का नाम आबेल मिस्रीम पड़ा। यह यर्दन नदी के उस पार है।