उत्‍पत्ति 42:29-36

उत्‍पत्ति 42:29-36 HINCLBSI

जब वे कनान देश में अपने पिता याकूब के पास आए तब उन्‍होंने अपने साथ घटी घटनाओं का उल्‍लेख उनसे किया। उन्‍होंने कहा, ‘मिस्र देश के स्‍वामी ने हमसे कठोरता से बातें कीं। उसने हमें उस देश में गुप्‍तचर समझा। परन्‍तु हमने उससे कहा, “हम सच्‍चे लोग हैं। हम गुप्‍तचर नहीं हैं। हम बारह भाई हैं। हम एक ही पिता के पुत्र हैं। एक भाई नहीं रहा। सबसे छोटा भाई इस समय कनान देश में हमारे पिता के पास है।” तब उस देश के स्‍वामी ने हमसे कहा, “यदि तुम यह कार्य करो तो मुझे ज्ञात हो जाएगा कि तुम सच्‍चे लोग हो : तुम अपने भाइयों में से एक को मेरे पास छोड़ जाओ। तुम अपने भूखे परिवार के लिए अन्न लेकर जाओ, और अपने सबसे छोटे भाई को मेरे पास लाओ। तब मुझे विश्‍वास होगा कि तुम गुप्‍तचर नहीं, वरन् सच्‍चे लोग हो। मैं तुम्‍हारे भाई को तुम्‍हें सौंप दूँगा। तब तुम इस देश में व्‍यापार भी कर सकोगे।” ’ उन्‍होंने अन्न के बोरे खोले तो देखा कि प्रत्‍येक व्यक्‍ति की रुपयों की थैली उसके बोरे में है। जब उन्‍होंने तथा उनके पिता ने रुपयों की थैलियाँ देखीं तब वे डर गए। उनके पिता याकूब ने उनसे कहा, ‘तुम लोगों ने मुझे सन्‍तानहीन कर दिया। यूसुफ नहीं रहा। शिमोन भी नहीं रहा। अब तुम बिन्‍यामिन को ले जाओगे। ये सब विपत्तियाँ मुझ पर ही आ पड़ी हैं।’