तत्पश्चात् हव्वा ने काइन के भाई हाबिल को जन्म दिया। हाबिल भेड़ों का चरवाहा था, और काइन खेती करने वाला किसान था। काइन ने समय आने पर खेत की उपज प्रभु को भेंट चढ़ाई। हाबिल ने अपने पशुओं के पहिलौठे बच्चे और उनका चर्बीयुक्त मांस चढ़ाया। प्रभु ने हाबिल तथा उसकी भेंट पर कृपा-दृष्टि की। पर काइन और उसकी भेंट को अस्वीकार कर दिया। इसलिए काइन बहुत नाराज हुआ। उसका मुंह उतर गया। प्रभु ने काइन से पूछा, ‘तू क्यों नाराज है? क्यों तेरा मुंह उतरा हुआ है? यदि तू भलाई करे तो क्या मैं तुझे ग्रहण न करूंगा? किन्तु यदि तू भलाई न करे तो देख, तेरे द्वार पर पाप खड़ा है। वह तेरी कामना कर रहा है। तू उसको अपने वश में कर।’ काइन ने अपने भाई हाबिल से कहा, ‘आओ, हम खेत को चलें।’ जब वे खेत में थे तब काइन अपने भाई हाबिल के विरुद्ध उठा और उसने हाबिल की हत्या कर दी। प्रभु ने काइन से पूछा, ‘तेरा भाई हाबिल कहां है?’ उसने उत्तर दिया, ‘मैं नहीं जानता। क्या मैं अपने भाई का रखवाला हूं?’ प्रभु ने कहा, ‘यह तूने क्या किया? तेरे भाई का रक्त भूमि से मुझे पुकार रहा है। अब तू उस भूमि की ओर से शापित है, जिसने तेरे भाई का रक्त तेरे हाथ से स्वीकार करने के लिए अपना मुंह खोला है।
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