उत्‍पत्ति 39:11-22

उत्‍पत्ति 39:11-22 HINCLBSI

एक दिन यूसुफ काम करने के लिए घर में आया। उस समय वहाँ घर का कोई भी मनुष्‍य नहीं था। पोटीफर की पत्‍नी ने यूसुफ का वस्‍त्र पकड़ लिया और उससे बोली, ‘मेरे साथ सो।’ किन्‍तु यूसुफ अपना वस्‍त्र उसके हाथ में छोड़कर भागा और घर से बाहर निकल गया। जब पोटीफर की पत्‍नी ने देखा कि यूसुफ अपना वस्‍त्र उसके हाथ में छोड़ कर घर से बाहर निकल गया है, तब उसने अपने घर के मनुष्‍यों को बुलाया और उनसे कहा, ‘इब्रानी सेवक को देखो। उसे मेरा स्‍वामी हमारा अपमान करने के लिए लाया है। वह इब्रानी मुझसे बलात्‍कार करने के लिए मेरे पास आया था। पर मैं ऊंची आवाज में पुकारने लगी। जब उसने सुना कि मैं ऊंचे स्‍वर में चिल्‍लाकर पुकार रही हूँ, तब वह अपना वस्‍त्र मेरे हाथ में छोड़कर भागा और घर से बाहर निकल गया।’ जब तक उसका स्‍वामी अपने घर में नहीं आया, उसने यूसुफ का वस्‍त्र अपने पास पड़ा रहने दिया। उसने अपने स्‍वामी से भी यही कहा, ‘जिस इब्रानी सेवक को आप हमारे मध्‍य में लाए हैं, वह मेरा अपमान करने के लिए मेरे पास आया। परन्‍तु जैसे ही मैंने ऊंची आवाज में पुकारा, वह अपना वस्‍त्र मेरे पास छोड़कर भागा और घर से बाहर निकल गया।’ जब यूसुफ के स्‍वामी ने अपनी पत्‍नी के ये शब्‍द सुने, ‘आपके सेवक ने मुझसे ऐसा व्‍यवहार किया’, तब उसका क्रोध भड़क उठा। यूसुफ के स्‍वामी ने उसे पकड़कर कारागार में डाल दिया। इस स्‍थान में राजा के बन्‍दी कैद थे। यूसुफ भी कारागार में था। प्रभु उसके साथ था। उसने यूसुफ पर करुणा की और उसे कारागार के मुख्‍याधिकारी की कृपा-दृष्‍टि प्रदान की। अत: कारागार के मुख्‍याधिकारी ने कारागार के सब बन्‍दियों को यूसुफ के हाथ में सौंप दिया। जो कुछ भी कारागार में होता था, उसका कर्ता यूसुफ था।