जब राहेल ने देखा कि उससे याकूब के लिए सन्तान उत्पन्न नहीं हुई, तब वह अपनी बहिन से ईष्र्या करने लगी। उसने याकूब से कहा, ‘मुझे सन्तान दो, अन्यथा मैं मर जाऊंगी।’ राहेल के प्रति याकूब का क्रोध भड़क उठा। वह बोला, ‘क्या मैं परमेश्वर के स्थान पर हूँ, जिसने तुझे गर्भवती होने से वंचित किया है?’ राहेल ने कहा, ‘देखो, मेरी सेविका बिल्हा है। तुम उससे सहवास करो, जिससे वह मेरे घुटनों पर सन्तान को जन्म दे। शायद उसके माध्यम से मुझे सन्तान प्राप्त हो।’ अत: उसने अपनी सेविका याकूब को दी कि वह उसकी स्त्री बने। याकूब ने उसके साथ सहवास किया। बिल्हा गर्भवती हुई, और उसने याकूब से एक पुत्र को जन्म दिया। राहेल बोली, ‘परमेश्वर ने मेरे पक्ष में न्याय किया। उसने मेरी पुकार सुनी और मुझे एक पुत्र प्रदान किया।’ इसलिए उसने उसका नाम ‘दान’ रखा। राहेल की सेविका बिल्हा पुन: गर्भवती हुई। उसने याकूब से दूसरे पुत्र को जन्म दिया। राहेल ने कहा, ‘मैंने अपनी बहिन के साथ कड़ा संघर्ष कर द्वन्द्वयुद्ध में विजय प्राप्त की है।’ अत: उसका नाम ‘नफ्ताली’ रखा। जब लिआ ने देखा कि उसके सन्तान होना बन्द हो गया है, तब उसने अपनी सेविका जिल्पा याकूब को दी कि वह उसकी स्त्री बने। लिआ की सेविका जिल्पा ने याकूब से एक पुत्र को जन्म दिया। लिआ बोली, ‘अहो भाग्य!’ अतएव उसने उसका नाम ‘गाद’ रखा। लिआ की सेविका जिल्पा ने याकूब से दूसरे पुत्र को जन्म दिया। लिआ ने कहा, ‘मैं कितनी धन्य हूँ! स्त्रियाँ मुझे धन्य-धन्य कहेंगी।’ इसलिए उसने उसका नाम ‘आशेर’ रखा। गेहूँ की कटाई के दिनों में रूबेन बाहर गया। उसे मैदान में दूदा फल मिले। वह उनको अपनी माँ लिआ के पास लाया। राहेल ने लिआ से कहा, ‘कृपया मुझे अपने पुत्र के दूदाफलों में से कुछ फल दो।’ लिआ ने उससे कहा, ‘क्या यह कोई साधारण बात है कि तूने मेरे पति को मुझसे छीन लिया? अब क्या तू मेरे पुत्र के दूदाफल भी छीन लेगी?’ राहेल बोली, ‘तुम्हारे पुत्र के दूदाफलों के बदले में याकूब आज रात तुम्हारे साथ सो सकते हैं।’ जब सन्ध्या समय याकूब खेत से आया तब लिआ उससे भेंट करने को बाहर निकली। लिआ ने कहा, ‘तुम्हें मेरे पास आज रात आना ही होगा; क्योंकि मैंने तुम्हें अपने पुत्र के दूदाफलों के बदले में किराए पर लिया है।’ याकूब उस रात लिआ के साथ सोया। तब परमेश्वर ने लिआ की प्रार्थना सुनी। वह गर्भवती हुई और उसने याकूब से पांचवें पुत्र को जन्म दिया। लिआ ने कहा, ‘परमेश्वर ने मुझे मेरी मजदूरी दी है; क्योंकि मैंने अपनी सेविका अपने पति को दी थी।’ अतएव उसने उसका नाम ‘इस्साकार’ रखा। लिआ पुन: गर्भवती हुई। उसने याकूब से छठे पुत्र को जन्म दिया। लिआ बोली, ‘परमेश्वर ने मुझे एक उत्तम वरदान से सम्पन्न किया है। अब मेरा पति मेरे साथ रहेगा; क्योंकि मैंने उसके लिए छ: पुत्रों को जन्म दिया है।’ अत: लिआ ने उसका नाम ‘जबूलून’ रखा।
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