उत्‍पत्ति 29:23-35

उत्‍पत्ति 29:23-35 HINCLBSI

किन्‍तु सन्‍ध्‍या समय वह अपनी पुत्री लिआ को लेकर याकूब के पास आया। याकूब ने उसके साथ रात व्‍यतीत की। (लाबान ने अपनी पुत्री लिआ को अपनी सेविका जिल्‍पा भेंट की कि वह उसकी सेवा करे।) सबेरे याकूब को मालूम हुआ कि वह लिआ है। उसने लाबान से कहा, ‘यह आपने मेरे साथ कैसा व्‍यवहार किया? क्‍या मैंने राहेल के लिए आपकी सेवा नहीं की थी? आपने मुझे धोखा क्‍यों दिया?’ लाबान ने कहा, ‘हमारे देश में ऐसी प्रथा नहीं है कि हम बड़ी पुत्री के पहले छोटी पुत्री को विवाह में दें। इसका सप्‍ताह तो पूरा करो। उसके बाद हम यह दूसरी कन्‍या भी तुम्‍हें उस सेवा के बदले में देंगे जो तुम मेरे साथ सात वर्ष तक करोगे।’ याकूब ने ऐसा ही किया। उसने सप्‍ताह पूरा किया। इसके पश्‍चात् लाबान ने अपनी पुत्री राहेल का विवाह उससे कर दिया। (लाबान ने अपनी पुत्री राहेल को अपनी सेविका बिल्‍हा भेंट की कि वह उसकी सेवा करे।) याकूब राहेल के पास भी गया। पर उसने लिआ से अधिक राहेल से प्रेम किया। उसने सात वर्ष और लाबान की सेवा की। जब प्रभु ने देखा कि लिआ से घृणा की जाती है, तब उसने उसे पुत्रवती बनाया। पर राहेल निस्‍सन्‍तान रही। लिआ गर्भवती हुई। उसने एक पुत्र को जन्‍म दिया। उसने उसका नाम ‘रूबेन’ रखा; क्‍योंकि वह कहती थी, ‘प्रभु ने मेरी पीड़ा पर दृष्‍टि की है। अब निश्‍चय ही मेरा पति मुझसे प्रेम करेगा।’ वह पुन: गर्भवती हुई। उसने एक और पुत्र को जन्‍म दिया। वह बोली, ‘प्रभु ने सुना कि मुझसे घृणा की गई है। अतएव उसने मुझे यह पुत्र भी प्रदान किया है।’ उसने उसका नाम ‘शिमोन’ रखा। तत्‍पश्‍चात् वह फिर गर्भवती हुई, और उसने एक पुत्र को जन्‍म दिया। उसने कहा, ‘अब मेरा पति मुझे मिल जाएगा; क्‍योंकि मैंने उससे तीन पुत्रों को जन्‍म दिया है।’ इसलिए उसका नाम ‘लेवी’ रखा गया। वह फिर गर्भवती हुई। उसने एक पुत्र को जन्‍म दिया। वह बोली, ‘इस बार मैं प्रभु की स्‍तुति करूँगी।’ अतएव उसने उसका नाम, ‘यहूदा’ रखा। तब उसको सन्‍तान होना बन्‍द हो गया।

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