उत्‍पत्ति 25:19-34

उत्‍पत्ति 25:19-34 HINCLBSI

यह अब्राहम के पुत्र इसहाक के परिवार का वृत्तान्‍त है। अब्राहम ने इसहाक को उत्‍पन्न किया था। जब इसहाक चालीस वर्ष का हुआ तब उसने पद्दन-अराम के निवासी अराम वंशीय बतूएल की पुत्री और अराम वंशीय लाबान की बहिन रिबका से विवाह किया। रिबका बांझ थी। अतएव इसहाक ने अपनी पत्‍नी के लिए प्रभु से निवेदन किया। प्रभु ने उसे सुना, और इसहाक की पत्‍नी गर्भवती हुई। उसके गर्भ में बच्‍चे आपस में लड़ने-झगड़ने लगे। रिबका बोली, ‘यदि ऐसा ही होता रहा तो मैं क्‍यों जीऊं?’ अत: वह प्रभु से पूछने गई। प्रभु ने उससे कहा, ‘तेरे गर्भ में दो राष्‍ट्र हैं; तुझसे जन्‍म लेते ही दो जातियाँ विभाजित हो जाएँगी; एक राष्‍ट्र दूसरे राष्‍ट्र से शक्‍तिशाली होगा, ज्‍येष्‍ठ, कनिष्‍ठ की सेवा करेगा।’ जब रिबका के प्रसव के दिन पूरे हुए कि वह शिशु को जन्‍म दे, तब मालूम हुआ कि उसके गर्भ में जुड़वां बच्‍चे हैं। गर्भ से बाहर आने वाला पहला बच्‍चा लाल था। उसका सारा शरीर कम्‍बल के समान रोएंदार था। इसलिए उन्‍होंने उसका नाम एसाव रखा। तत्‍पश्‍चात् उसका भाई गर्भ से बाहर आया। वह अपने हाथ में एसाव की एड़ी पकड़े हुए था। अत: उसका नाम याकूब रखा गया। जब रिबका ने उनको जन्‍म दिया तब इसहाक की आयु साठ वर्ष की थी। जब दोनों बालक युवा हुए तब एसाव जंगल में रहनेवाला एक कुशल शिकारी बना। किन्‍तु याकूब तम्‍बुओं का निवासी एक सीधा-सादा मनुष्‍य था। इसहाक ज्‍येष्‍ठ पुत्र एसाव से प्रेम करते थे, क्‍योंकि वह एसाव के शिकार का मांस खाते थे। रिबका छोटे पुत्र याकूब से प्रेम करती थी। एक दिन याकूब दाल उबाल रह था। एसाव वन से आया। वह बहुत भूखा था। उसने याकूब से कहा, ‘मुझे लाल-लाल वस्‍तु में से कुछ खिला, क्‍योंकि मुझे बहुत भूख लगी है।’ (इसलिए उसका नाम ‘एदोम’ भी पड़ा।) याकूब बोला, ‘पहले मुझे अपना ज्‍येष्‍ठ पुत्र होने का अधिकार बेच दो।’ एसाव ने कहा, ‘देख, मैं मरने पर हूँ। इस अधिकार का मेरे लिए क्‍या लाभ?’ याकूब बोला, ‘पहले मुझसे शपथ खाओ।’ अत: एसाव ने उससे शपथ खाई, और उसे अपने ज्‍येष्‍ठ होने का अधिकार बेच दिया। तत्‍पश्‍चात् याकूब ने एसाव को रोटी और उबली हुई मसूर की दाल दी। उसने खाया-पिया और उठकर चला गया। इस प्रकार एसाव ने अपने ज्‍येष्‍ठ पुत्र होने के अधिकार को तुच्‍छ समझा।