प्रभु परमेश्वर ने मनुष्य को लेकर अदन के उद्यान में नियुक्त किया कि वह उसमें खेती करे और उसकी रखवाली करे। प्रभु परमेश्वर ने मनुष्य को आज्ञा दी, ‘तुम उद्यान के सब पेड़ों के फल निस्संकोच खा सकते हो, पर भले-बुरे के ज्ञान के पेड़ का फल न खाना; क्योंकि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे, तुम अवश्य मर जाओगे।’ प्रभु परमेश्वर ने कहा, ‘मनुष्य का अकेला रहना अच्छा नहीं। मैं उसके लिए एक उपयुक्त सहायक बनाऊंगा।’ अत: प्रभु परमेश्वर ने भूमि की मिट्टी से वन के समस्त पशु और आकाश के सब पक्षी गढ़े। वह उन्हें मनुष्य के पास लाया कि देखें, मनुष्य उनका क्या नाम रखता है। प्रत्येक जीव-जन्तु का वही नाम होगा, जो मनुष्य उसे देगा। मनुष्य ने सब पालतू पशुओं, आकाश के पक्षियों और वन-पशुओं के नाम रखे; किन्तु मनुष्य को अपने लिए उपयुक्त सहायक नहीं मिला। अत: प्रभु परमेश्वर ने मनुष्य को गहरी नींद में सुला दिया। जब वह सो रहा था तब उसकी पसलियों में से एक पसली निकाली और उस रिक्त स्थान को मांस से भर दिया। प्रभु परमेश्वर ने उस पसली से, जिसको उसने मनुष्य में से निकाला था, स्त्री को बनाया और वह उसे मनुष्य के पास लाया। मनुष्य ने कहा, ‘अन्तत: यह मेरी ही अस्थियों की अस्थि, मेरी ही देह की देह है; यह “नारी” कहलाएगी; क्योंकि यह नर से निकाली गई है।’ इसलिए पुरुष अपने माता-पिता को छोड़कर अपनी पत्नी के साथ रहेगा, और वे एक देह होंगे। मनुष्य और उसकी पत्नी नग्न थे, पर वे लज्जित न थे।
उत्पत्ति 2 पढ़िए
सुनें - उत्पत्ति 2
शेयर
सभी संस्करण की तुलना करें: उत्पत्ति 2:15-25
छंद सहेजें, ऑफ़लाइन पढ़ें, शिक्षण क्लिप देखें, और बहुत कुछ!
होम
बाइबिल
योजनाएँ
वीडियो