जब अब्राहम ममरे के बांज वृक्षों के मध्य दोपहर की तेज धूप में अपने तम्बू के द्वार पर बैठे थे, तब प्रभु ने उन्हें दर्शन दिया। अब्राहम ने आँख ऊपर उठाकर देखा कि उनके सामने तीन पुरुष खड़े हैं। वह उनको देखते ही उनका स्वागत करने के लिए तम्बू के द्वार से दौड़कर आए, और भूमि की ओर झुककर उनका अभिवादन किया। अब्राहम ने कहा, ‘स्वामी, यदि आपकी कृपा-दृष्टि मुझ पर हो, तो आप अपने सेवक के पास से चले न जाइए। मैं थोड़ा जल मंगवाता हूँ। आप अपने पैर धोइए और पेड़ के नीचे विश्राम कीजिए। तब तक मैं रोटी ले आऊंगा कि आप उसे खाकर अपने को ताजा करें। उसके पश्चात् आप आगे चले जाना। आप तो अपने सेवक के पास आए हैं।’ उन्होंने कहा, ‘जैसा तुम कहते हो, वैसा ही करो।’ अब्राहम तुरन्त सारा के पास तम्बू में गए और उससे कहा, ‘शीघ्र ही दस किलो मैदा लेकर उसे गूंध डालो और उसकी रोटियाँ बना लो।’ फिर वह रेवड़ की ओर दौड़े। वहाँ उन्होंने नरम और अच्छे पशु को छांट कर सेवक को दिया। सेवक उसे अविलम्ब पकाने गया। अब्राहम ने दूध और दही तथा पशु का पका हुआ मांस तीन पुरुषों के सम्मुख परोस दिया। जब तक वे भोजन करते रहे, अब्राहम पेड़ के नीचे उनके पास खड़े रहे।
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