उत्‍पत्ति 12:1-7

उत्‍पत्ति 12:1-7 HINCLBSI

प्रभु ने अब्राम से कहा, ‘तू अपने देश, जन्‍म-स्‍थान और नाते-रिश्‍तेदारी को छोड़कर उस देश को जा, जो मैं तुझे दिखाऊंगा। मैं तुझसे एक बड़ा राष्‍ट्र उत्‍पन्न करूँगा। मैं तुझे आशिष दूँगा, और तेरे नाम को महान बनाऊंगा कि तू मानव-जाति के लिए आशिष का माध्‍यम बने। जो तुझे आशिष देंगे, मैं उनको आशिष दूँगा। परन्‍तु जो तुझे शाप देगा, उसे मैं शाप दूँगा। पृथ्‍वी के समस्‍त कुटुम्‍ब तेरे द्वारा मुझसे आशिष पाएँगे।’ प्रभु की आज्ञा अनुसार अब्राम चले गए। उनके साथ उनका भतीजा लोट भी गया। जब अब्राम ने हारान देश से प्रस्‍थान किया तब वह पचहत्तर वर्ष के थे। वह अपनी पत्‍नी सारय, भतीजे लोट और अपनी अर्जित सम्‍पत्ति एवं हारान देश में प्राप्‍त दास-दासियों को लेकर कनान देश की ओर चले। उन्‍होंने कनान देश में प्रवेश किया। वे चलते-चलते शकेम नामक स्‍थान पर पहुँचे जहाँ ‘मोरे का पवित्र बांज वृक्ष’ है। उस समय कनानी जाति उस देश में रहती थी। प्रभु ने अब्राम को दर्शन देकर कहा, ‘मैं यह देश तेरे वंश को दूँगा।’ अत: अब्राम ने प्रभु के लिए, जिसने उन्‍हें दर्शन दिया था, वहाँ एक वेदी बनाई।

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