परमेश्वर ने कहा, ‘आकाश के नीचे का जल एक स्थान में एकत्र हो, और सूखी भूमि दिखाई दे।’ ऐसा ही हुआ। परमेश्वर ने सूखी भूमि को ‘पृथ्वी’, तथा एकत्रित जल को ‘समुद्र’ नाम दिया। परमेश्वर ने देखा कि वे अच्छे हैं। तब परमेश्वर ने पृथ्वी को आज्ञा दी कि वह वनस्पति, बीजधारी पौधे और फलदायक वृक्ष उगाए। पृथ्वी पर उन वृक्षों की जाति के अनुसार उनके फलों में बीज भी हों। ऐसा ही हुआ। पृथ्वी ने वनस्पति, जाति-जाति के बीजधारी पौधे, फलदायक वृक्ष, जिनके फलों में बीज थे, उनकी जाति के अनुसार उगाए। परमेश्वर ने देखा कि वे अच्छे हैं। सन्ध्या हुई, फिर सबेरा हुआ। इस प्रकार तीसरा दिन बीत गया।
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