पृथ्वी आकार-रहित और सुनसान थी। अथाह सागर के ऊपर अन्धकार था। जल की सतह पर परमेश्वर का आत्मा मंडराता था। परमेश्वर ने कहा, ‘प्रकाश हो’, और प्रकाश हो गया। परमेश्वर ने देखा कि प्रकाश अच्छा है। परमेश्वर ने प्रकाश को अन्धकार से अलग किया। परमेश्वर ने प्रकाश को ‘दिन’ तथा अन्धकार को ‘रात’ नाम दिया। सन्ध्या हुई, फिर सबेरा हुआ। इस प्रकार पहला दिन बीत गया।
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