गलातियों 4:21-31

गलातियों 4:21-31 HINCLBSI

आप जो व्‍यवस्‍था के अधीन रहना चाहते हैं, मुझे यह बताइए : क्‍या आप यह नहीं सुनते कि व्‍यवस्‍था क्‍या कहती है? उसमें लिखा है कि अब्राहम के दो पुत्र थे-एक दासी से और दूसरा स्‍वतन्‍त्र पत्‍नी से। दासी के पुत्र का जन्‍म प्रकृति के अनुसार हुआ, किन्‍तु स्‍वतन्‍त्र पत्‍नी के पुत्र का जन्‍म प्रतिज्ञा के अनुसार। इन बातों का एक लाक्षणिक अर्थ है। वे दो स्‍त्रियाँ दो विधानों की प्रतीक हैं। एक विधान, अर्थात् सीनय पर्वत का विधान, दासता के लिए सन्‍तति उत्‍पन्न करता है। यह हागार है। हागार का सीनय पर्वत अरब में है, पर यह वर्तमान यरूशलेम के सदृश्‍य है; क्‍योंकि यरूशलेम अपनी सन्‍तति के साथ दासता के अधीन है। किन्‍तु दिव्‍य यरूशलेम स्‍वतन्‍त्र है। वह हमारी माता है; क्‍योंकि लिखा है, “ओ वन्‍ध्‍या! तुमने कभी पुत्र नहीं जना, अब आनन्‍द मनाओ। तुमने प्रसव-पीड़ा का अनुभव नहीं किया, उल्‍लास के गीत गाओ; क्‍योंकि विवाहिता की अपेक्षा परित्‍यक्‍ता के अधिक पुत्र होंगे।” भाइयो और बहिनो! इसहाक के समान आप परमेश्‍वर की प्रतिज्ञा की संतान हैं। किन्‍तु जिसका जन्‍म प्रकृति के अनुसार हुआ, वह उस पर अत्‍याचार करता था, जिसका जन्‍म आत्‍मा के अनुसार हुआ था। अब भी ऐसा ही होता है; किन्‍तु धर्मग्रन्‍थ क्‍या कहता है? “दासी और उसके पुत्र को घर से निकाल दो। दासी का पुत्र स्‍वतन्‍त्र पत्‍नी के पुत्र के साथ विरासत का उत्तराधिकारी नहीं होगा।” इसलिए भाइयो और बहिनो! हम दासी की नहीं, बल्‍कि स्‍वतन्‍त्र स्‍त्री की सन्‍तान हैं।

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