‘स्वामी-प्रभु यों कहता है : देखो, मैं स्वयं अपनी भेड़ों की सुधि लूंगा, और उनको ढूंढ़ने जाऊंगा। जब किसी चरवाहे की भेड़ें झुण्ड में से निकल कर यहां-वहां खो जाती हैं, तब चरवाहा उन खोई हुई भेड़ों को ढूंढ़ता है। वैसे ही मैं चरवाहे की तरह अपनी भेड़ों को खोजूंगा। वे सघन अंधकार के दिन, घोर घटाओं के दिन भटक गई थीं। मैं उनको सब स्थानों से छुड़ा कर लाऊंगा। मैं अपने निज लोगों को, अपनी भेड़ों को भिन्न-भिन्न जातियों के मध्य से निकाल कर लाऊंगा। मैं उनको सब देशों से एकत्र करूँगा, और उनको उनके देश में लाऊंगा। मैं अपनी भेड़ों को इस्राएल देश के पहाड़ों पर और इस्राएल देश के सब आबाद स्थानों पर चराऊंगा। मैं उनको हरे-भरे चरागाह में चराऊंगा। इस्राएल देश के ऊंचे पठारों पर उनके चरागाह होंगे। वहां वे हरे-भरे घास के मैदान में आराम करेंगी। उन्हें इस्राएल के पहाड़ों के उत्तम चरागाह में पेटभर आहार प्राप्त होगा। मैं स्वयं अपनी भेड़ों का मेषपाल होऊंगा, और, मैं उनको हरे-भरे चरागाह में विश्राम कराऊंगा। मैं, स्वामी-प्रभु, यही कहता हूँ : मैं खोई हुई भेड़ को ढूंढ़ूंगा। भटकी हुई भेड़ के घावों पर पट्टी बांधूंगा। मैं निर्बल को बलवान बनाऊंगा। मैं मोटी-ताजी, स्वस्थ भेड़ की रक्षा करूंगा। मैं उनको उचित रीति से चराऊंगा।
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