स्वामी-प्रभु यों कहता है : मेरे जीवन की सौगन्ध! उसने मेरी शपथ को तुच्छ समझा, और मेरी संधि का उल्लंघन किया; इसलिए, मैं इनका प्रतिफल उसके सिर पर डालूंगा। मैं उस पर अपना जाल फैलाऊंगा, और वह मेरे फन्दे में फंस जाएगा। मैं उसको बेबीलोन देश में लाऊंगा, और जो विश्वासघात उसने मेरे साथ किया है, उसके लिए मैं उस पर बेबीलोन में मुकदमा चलाऊंगा। उसके सैन्य-दल का प्रत्येक नायक तलवार से मौत के घाट उतारा जाएगा, और बचे हुए सैनिक सब दिशाओं में तितर-बितर हो जाएंगे। तब तुम्हें मालूम होगा कि मैं ही प्रभु हूं, जिसने यह कहा है।’ स्वामी-प्रभु यों कहता है : ‘मैं भी देवदार वृक्ष की ऊंची फुनगी से एक टहनी लूंगा, और उसको भूमि पर लगाऊंगा। मैं उसकी सबसे ऊंची शाखा में से एक टहनी तोड़ूंगा, और उसको एक बहुत ऊंचे पहाड़ पर लगाऊंगा। सुनो, मैं उसको इस्राएल प्रदेश के उच्चतम पर्वत पर रोपूंगा; तब उसमें डालियां फूटेंगी, और उसमें फल लगेंगे। वह एक शानदार देवदार वृक्ष बन जाएगी। उसके नीचे सब जाति के पशु आश्रय लेंगे; उसकी घनी शाखाओं में सब प्रकार के पक्षी अपना घोंसला बनाएंगे। तब विश्व के सब वृक्षों को ज्ञात होगा कि मैं-प्रभु छोटे वृक्ष को बड़ा बनाता हूं, और बड़े वृक्ष को छोटा! मैं हरे वृक्ष को सुखा डालता हूं और सूखे हुए वृक्ष को हरा-भरा कर देता हूं। मेरी यही वाणी है। मैं-प्रभु जो कहता हूं, उसको पूरा करता हूं।’
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