निर्गमन 34:28-35

निर्गमन 34:28-35 HINCLBSI

मूसा वहाँ प्रभु के साथ चालीस दिन और चालीस रात रहे। न तो उन्‍होंने रोटी खाई और न पानी पिया। उन्‍होंने विधान की बातें, अर्थात् दस आज्ञाएँ पट्टियों पर लिख लीं। जब मूसा सीनय पर्वत से उतरे, उनके हाथ में साक्षी की दो पट्टियाँ थीं। जब मूसा सीनय पर्वत से उतरे, उन्‍हें ज्ञात नहीं था कि परमेश्‍वर के साथ वार्तालाप करने के कारण उनका मुख प्रकाशवान हो गया है। हारून और समस्‍त इस्राएली समाज ने मूसा को देखा कि उनके मुख से प्रकाश निकल रहा है। अतएव वे उनके निकट जाने से डरे। किन्‍तु मूसा ने उनको बुलाया। तब हारून एवं इस्राएली मंडली के सब अगुए उनके पास लौटे। मूसा ने उनसे बातचीत की। तत्‍पश्‍चात् सम्‍पूर्ण समाज निकट गया। जो बातें प्रभु ने मूसा से सीनय पर्वत पर कही थीं, उन्‍होंने वे सब आज्ञाएँ उनको सुनाईं। जब मूसा ने उनके साथ बात करना समाप्‍त किया तब अपने मुख पर परदा डाल लिया। जब जब मूसा प्रभु से वार्तालाप करने को मिलन-शिविर के भीतर जाते थे, वह अपने मुख पर से परदा हटा लेते, और बाहर निकलने तक उसे हटाए रखते थे। जो आज्ञा उन्‍हें दी जाती, वह उसको बाहर आकर इस्राएली समाज को बता देते थे। इस्राएली समाज मूसा का मुख देखता कि वह प्रकाशवान है। जब तक मूसा भीतर प्रभु के साथ वार्तालाप करने नहीं जाते थे, तब तक अपने मुख पर परदा डाले रहते थे।