प्रभु ने मूसा से कहा, ‘तू प्रथम पट्टियों के समान पत्थर की दो पट्टियाँ खोद। मैं उन पर वे ही शब्द लिखूँगा जो प्रथम पट्टियों पर लिखे थे, जिनके तूने टुकड़े-टुकड़े किए थे। तू सबेरे तैयार रहना। तू सबेरे ही सीनय पर्वत पर चढ़ना, और शिखर पर मेरे सम्मुख प्रस्तुत होना। कोई भी व्यक्ति तेरे साथ ऊपर न चढ़े। समस्त पहाड़ पर मनुष्य दिखाई भी न दे। भेड़-बकरी, गाय-बैल उस पहाड़ के सम्मुख न चराए जाएँ।’ मूसा ने प्रथम पट्टियों के समान पत्थर की दो पट्टियाँ खोदीं। वह सबेरे उठे। जैसी प्रभु ने उनको आज्ञा दी थी, उसी के अनुसार वह अपने हाथ में पत्थर की दो पट्टियाँ लेकर सीनय पर्वत पर चढ़ गए। प्रभु मेघ में उतरा। वह वहाँ मूसा के साथ खड़ा हुआ और उसने अपना “प्रभु” नाम घोषित किया। प्रभु उनके सामने से निकला और उसने घोषित किया, ‘प्रभु! प्रभु! वह दयालु, और अनुग्रह करने वाला, विलम्ब-क्रोधी, अत्यन्त करुणामय, सत्य परमेश्वर है। वह हजारों पीढ़ियों पर करुणा करने वाला; अधर्म, अपराध और पाप को क्षमा करनेवाला है। किन्तु वह दोषी को किसी भी प्रकार निर्दोष सिद्ध न करेगा। वह पूर्वजों के अधर्म का दण्ड तीसरी और चौथी पीढ़ी तक उनकी संतान तथा आनेवाली संतान को देता रहता है।’
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