मूसा पड़ाव के बाहर, उससे पर्याप्त दूरी पर, तम्बू गाड़ा करते थे। वह उसे मिलन-शिविर कहते थे। प्रभु के खोजी मिलन-शिविर को, जो पड़ाव के बाहर था, जाते थे। जब-जब मूसा बाहर शिविर के पास जाते, सब लोग खड़े हो जाते। जब तक वह शिविर के भीतर नहीं चले जाते तब तक प्रत्येक व्यक्ति अपने तम्बू के द्वार पर खड़ा रहता और उनकी ओर देखता रहता था। जब मूसा शिविर में प्रविष्ट हो जाते तब मेघ-स्तम्भ उतर आता और शिविर के द्वार पर खड़ा हो जाता था। इस प्रकार प्रभु मूसा से वार्तालाप करता था। जब लोग शिविर के द्वार पर मेघ-स्तम्भ को खड़ा हुआ देखते तब वे सब उठकर अपने-अपने तम्बू-द्वार से वन्दना करते थे। जैसे कोई मनुष्य अपने मित्र से आमने-सामने बात करता है, वैसे ही प्रभु मूसा से वार्तालाप करता था। जब मूसा पड़ाव को लौट आते तब उनका निजी सेवक, नून का पुत्र नवयुवक यहोशुअ, शिविर में से नहीं निकलता था।
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