तब वह पड़ाव के द्वार पर खड़े हुए। उन्होंने कहा, ‘कौन प्रभु के पक्ष में है? वह मेरे पास आए।’ लेवी-कुल के सब व्यक्ति उनके पास एकत्र हो गए। मूसा ने उनसे कहा, ‘इस्राएल का प्रभु परमेश्वर यों कहता है : तुममें से प्रत्येक व्यक्ति अपनी कमर में तलवार बांध ले। तब पड़ाव में घूम-घूमकर एक द्वार से दूसरे द्वार पर जाकर मनुष्य का वध करे−चाहे वह उसका भाई हो, मित्र हो अथवा पड़ोसी।’ लेवियों ने मूसा के कथनानुसार किया। उस दिन इस्राएली समाज में प्राय: तीन हजार मनुष्य मारे गए। मूसा ने कहा, ‘आज तुम में से प्रत्येक व्यक्ति ने अपने पुत्र, अपने भाई का उत्सर्ग कर प्रभु की सेवा के लिए पुरोहित पद पर स्वयं को अभिषिक्त किया है। अतएव वह आज तुमको आशिष देगा।’ दूसरे दिन मूसा ने लोगों से कहा, ‘तुमने घोर पाप किया है। अब मैं प्रभु के पास ऊपर जाऊंगा। सम्भव है कि मैं तुम्हारे पाप का प्रायश्चित्त कर सकूँ।’ अत: मूसा प्रभु के पास लौटे। मूसा ने कहा, ‘आह! इन लोगों ने घोर पाप किया है। इन्होंने अपने लिए सोने का देवता बनाया है। अब तू उनके पाप क्षमा कर। यदि तू नहीं करेगा तो, मैं विनती करता हूँ, तू अपनी उस पुस्तक में से मेरा नाम काट दे, जिसे तूने लिखा है।’ प्रभु ने मूसा से कहा, ‘जिन लोगों ने मेरे विरुद्ध पाप किया है, उनका नाम मैं अपनी पुस्तक में से काट दूँगा। अब जा : तू लोगों का उस स्थान की ओर नेतृत्व कर जिसके विषय में मैंने कहा था। देख, मेरा दूत तेरे आगे-आगे जाएगा। फिर भी जिस दिन मैं उनको दण्ड देने के लिए उनकी सुध लूँगा, उसी दिन उनको इस पाप का भी दण्ड दूँगा।’ प्रभु ने लोगों पर महामारी भेजी; क्योंकि उन्होंने हारून के द्वारा बनाए हुए बछड़े की सेवा की थी।
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