उसकी पत्नी गर्भवती हुई। उसने एक पुत्र को जन्म दिया। जब उसने देखा कि बालक सुन्दर है, तो तीन महीने तक उसे छिपाये रखा। पर जब वह बालक को और न छिपा सकी तब उसके लिए सरकण्डों की एक टोकरी ली। उसने टोकरी पर डामर और राल का लेप लगाया, और उसके भीतर बालक को रख दिया। तत्पश्चात् उसने टोकरी नील नदी के किनारे कांसों के मध्य में रख दी। बालक की बहिन यह देखने के लिए दूर खड़ी रही कि उसके साथ क्या होता है। फरओ की पुत्री नील नदी में स्नान करने आई। उसकी सहेलियां नदी के तट पर टहल रही थीं। फरओ की पुत्री ने कांसों के मध्य टोकरी देखी। उसने टोकरी लाने के लिए अपनी दासी को भेजा। जब उसने उसको खोला तो एक बालक को देखा। वह रो रहा था। उसे बालक पर दया आई। उसने कहा, ‘यह इब्रानियों का कोई बच्चा है।’ बालक की बहिन ने फरओ की पुत्री से कहा, ‘क्या मैं जाकर आपके लिए इब्रानी धायों में से किसी स्त्री को बुलाऊं कि वह आपके हेतु बच्चे को दूध पिलाए?’ फरओ की पुत्री ने उससे कहा, ‘जा!’ लड़की गई और बालक की मां को बुला लायी। फरओ की पुत्री ने उससे कहा, ‘इस बच्चे को ले जाओ और मेरे हेतु इसको दूध पिलाओ। मैं तुम्हें मजदूरी दूंगी।’ अत: वह बालक को ले गयी और उसको दूध पिलाने लगी। जब बालक बड़ा हुआ, तब मां उसे लेकर फरओ की पुत्री के पास आई। फरओ की पुत्री ने बालक को अपना पुत्र मान लिया। उसने कहा, ‘मैंने इसे जल से निकाला है,’ इसलिए उसने बालक का नाम मूसा रखा। जब मूसा जवान हुए तब एक दिन यह घटना घटी। वह अपने जाति-भाइयों के पास गए। उन्होंने अपने जाति-भाइयों को भारी बोझ से लदे हुए देखा। उन्होंने यह भी देखा कि एक मिस्र निवासी उनके एक इब्रानी भाई को मार रहा है। मूसा ने इधर-उधर दृष्टि दौड़ायी। जब कोई मनुष्य दिखाई नहीं दिया तब उन्होंने मिस्र-निवासी की हत्या कर दी और उसका शव रेत में छिपा दिया। जब मूसा दूसरे दिन बाहर गए, उन्होंने दो इब्रानियों को परस्पर लड़ते हुए देखा मूसा ने दोषी व्यक्ति से कहा, ‘तुम अपने ही भाई को क्यों मार रहे हो?’ वह बोला, ‘किसने आपको हमारे ऊपर मुखिया और न्यायाधीश नियुक्त किया है? क्या आप मुझे भी मार डालना चाहते हैं जैसे आपने मिस्र-निवासी को मार डाला था?’ मूसा डर गए। उन्होंने सोचा, ‘निस्संदेह, लोगों पर घटना का भेद खुल गया है।’ जब फरओ ने यह बात सुनी तब उसने मूसा का वध करने के लिए उनको खोजा। किन्तु वह फरओ के सम्मुख से भाग गए। वह मिद्यान देश में रहने लगे। मूसा एक कुएं पर बैठे थे। मिद्यान देश के पुरोहित की सात पुत्रियां थीं। वे कुएं से पानी खींचने आईं। उन्होंने अपने पिता की भेड़-बकरियों को पानी पिलाने के लिए नांदों में पानी भरा। किन्तु चरवाहे आकर उन्हें हटाने लगे। तब मूसा उठे। उन्होंने पुरोहित की पुत्रियों की सहायता की और उनके रेवड़ को पानी पिलाया। वे अपने पिता रूएल के पास आईं। उसने पूछा, ‘आज तुम लोग इतने शीघ्र कैसे आ गईं?’ वे बोलीं, ‘एक मिस्र-निवासी पुरुष ने चरवाहों के हाथ से हमें मुक्त किया। उसने हमारे लिए पानी भी खींचा, और रेवड़ को पानी पिलाया।’ उसने अपनी पुत्रियों से पूछा, ‘वह कहां है? तुम उस पुरुष को क्यों छोड़ आईं? उसे बुलाओ कि वह हमारे साथ भोजन करे।’ मूसा रूएल के साथ रहने को सहमत हो गए। उसने मूसा के साथ अपनी पुत्री सिप्पोरा का विवाह कर दिया। वह गर्भवती हुई। उसने एक पुत्र को जन्म दिया। मूसा ने कहा, ‘मैं विदेश में प्रवासी हूं’। इसलिए उन्होंने उसका नाम गेर्शोम रखा। अनेक वर्षों के बाद मिस्र देश के राजा की मृत्यु हो गई। इस्राएली बेगार के कारण कराहते थे। अत: वे सहायता के लिए चिल्लाने लगे। बेगार से उत्पन्न उनकी दुहाई परमेश्वर तक पहुंची। परमेश्वर ने उनका कराहना सुना। उसे अब्राहम, इसहाक और याकूब के साथ स्थापित अपने विधान का स्मरण हुआ। परमेश्वर ने इस्राएलियों को देखा। उसने उनकी दुर्दशा पर ध्यान दिया।
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