निर्गमन 15:19-27

निर्गमन 15:19-27 HINCLBSI

जैसे ही फरओ के रथ, घोड़े और घुड़सवार सागर कि भीतर गए, प्रभु उनके ऊपर समुद्र-जल लौटा लाया। पर इस्राएली समुद्र के मध्‍य सूखी भूमि पर चलकर पार हुए। तत्‍पश्‍चात हारून की बहन मिर्याम ने, जो नबिया थी, अपने हाथ में खंजरी ली। अन्‍य स्‍त्रियां भी खंजरी लेकर नाचती हुई उसके पीछे गईं। मिर्याम उनके साथ यह टेक गा रही थी : ‘प्रभु के निमित्त गीत गाओ, उसने अद्भुत रीति से विजय प्राप्‍त की; उसने अश्‍वों और अश्‍वारोहियों को सागर में बहा दिया।’ तत्‍पश्‍चात मूसा इस्राएलियों को लाल सागर से आगे ले गए। वे शूर के निर्जन प्रदेश में पहुँचे। वे तीन दिन तक निर्जन प्रदेश में चलते रहे, परन्‍तु उन्‍हें पीने को पानी नहीं मिला। जब वे मारा नामक झरने पर पहुँचे, वे उसका पानी न पी सके, क्‍योंकि वह कड़वा था। अतएव उस झरने का नाम “मारा” पड़ा। इस्राएली मूसा के विरुद्ध बक-बक करने लगे, ‘हम क्‍या पीएँ?’ मूसा ने प्रभु की दुहाई दी। प्रभु ने मूसा को वृक्ष का एक लट्ठा दिखाया। उन्‍होंने उसको पानी में फेंक दिया और पानी मीठा हो गया। प्रभु ने वहाँ संविधि और न्‍याय-सिद्धान्‍त स्‍थापित किए। वहाँ उसने उन्‍हें कसौटी पर भी कसा। प्रभु ने कहा, ‘यदि तुम अपने प्रभु परमेश्‍वर की वाणी ध्‍यानपूर्वक सुनोगे, जो कार्य मेरी दृष्‍टि में उचित है, उसे करोगे, मेरी आज्ञाओं पर कान दोगे और मेरी समस्‍त संविधियों का पालन करोगे, तो मैं तुम पर महामारियाँ नहीं डालूँगा, जो मैंने मिस्र-निवासियों पर डाली थीं, क्‍योंकि मैं प्रभु हूं−तुम्‍हें स्‍वस्‍थ करने वाला।’ तत्‍पश्‍चात इस्राएली एलीम में आए। वहाँ बारह झरने और सत्तर खजूर के वृक्ष थे। वहाँ उन्‍होंने जल के तट पर पड़ाव डाला।