उस रात सम्राट क्षयर्ष सो न सका। उसने ‘इतिहास-ग्रन्थ’ लाने का आदेश दिया, जिसमें महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन लिखा गया था। ये घटनाएँ सम्राट के सम्मुख पढ़ी गईं। उसमें यह घटना लिखी हुई मिली : सम्राट के दो खोजों − बिगताना और तेरेश − ने, जो द्वारपाल थे, उस पर प्रहार करने का षड्यन्त्र रचा, किन्तु मोरदकय ने इसकी सूचना सम्राट क्षयर्ष को दे दी। सम्राट क्षयर्ष ने पूछा, ‘इस कार्य के लिए मोरदकय के साथ किस प्रकार का व्यवहार किया गया? उसे कौन-सा पुरस्कार अथवा पद दिया गया?’ सम्राट के सेवकों ने जो उसकी सेवा में उपस्थित थे, उसको बताया, ‘उसके लिए कुछ भी नहीं किया गया।’ इसी समय हामान राजभवन के बाहरी आंगन में आया। वह सम्राट क्षयर्ष से यह निवेदन करने आया था कि वह मोरदकय को फांसी के खम्भे पर टांगने का आदेश दे, जो उसने मोरदकय के लिए बनवाया था। सम्राट ने अपने सेवकों से पूछा, ‘आंगन में कौन है?’ सेवकों ने बताया, ‘महाराज, आंगन में हामान खड़े हैं।’ ‘हामान को भीतर आने दो,’ सम्राट ने कहा। हामान अन्त:पुर में आया। सम्राट ने उससे पूछा, ‘हामान, बताओ, उस मनुष्य के साथ क्या करना चाहिए, जिससे महाराज प्रसन्न हैं, और जिसको सम्मान देना चाहते हैं?’ हामान ने हृदय में सोचा, ‘मेरे अतिरिक्त और कौन व्यक्ति है, जिससे महाराज प्रसन्न हैं, और जिसको सम्मान देना चाहते हैं?’
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