एस्‍तर 4:10-17

एस्‍तर 4:10-17 HINCLBSI

एस्‍तर ने हताख से बात की, और उसको मोरदकय के लिए यह सन्‍देश दिया: ‘महाराज के सब सेवक तथा साम्राज्‍य के सब प्रदेशों के निवासी यह बात जानते हैं कि जो स्‍त्री या पुरुष बिना बुलाए महल के अन्‍त:पुर में प्रवेश करेगा, उसके लिए केवल एक नियम है : प्राणदण्‍ड! यह नियम सब पर लागू है और केवल वह व्यक्‍ति प्राणदण्‍ड से बच सकता है जिसकी ओर महाराज अपने स्‍वर्ण राजदण्‍ड से संकेत करते हैं। मैं तीस दिन से महाराज के पास नहीं बुलाई गई हूँ।’ सन्‍देशवाहकों ने एस्‍तर का सन्‍देश मोरदकय को दिया, किन्‍तु मोरदकय ने उनसे कहा कि वे एस्‍तर के पास लौट जाएं और उससे यह कहें: ‘तू अपने मन में यह मत सोच कि तू अन्‍य यहूदियों की अपेक्षा राजमहल में सुरक्षित है, और बच जाएगी। यदि तू ऐसे संकट के समय में चुप रहेगी तो भी कहीं न कहीं से यहूदियों को सहायता प्राप्‍त हो जाएगी, और वे इस संकट से मुक्‍त हो जाएंगे, पर तू और तेरा पितृकुल नष्‍ट हो जाएगा। कौन जानता है, ऐसे ही संकट के समय अपनी कौम को बचाने के लिए तुझे यह राजपद प्राप्‍त हुआ है?’ मोरदकय के सन्‍देश के उत्तर में एस्‍तर ने सन्‍देशवाहकों से कहा कि वे मोरदकय को यह उत्तर दें: ‘जाओ, और शूशन नगर के सब यहूदियों को एकत्र करो, और मेरे लिए सामूहिक उपवास करो। तीन दिन और रात न भोजन करना, और न पानी पीना। तुम्‍हारे समान मैं भी अपनी सखियों के साथ उपवास करूंगी। तब मैं महाराज के पास जाऊंगी, यद्यपि ऐसा करना नियम के विरुद्ध होगा। यदि मुझे मरना ही पड़ेगा तो मैं मर जाऊंगी।’ यह सन्‍देश सुनकर मोरदकय चला गया, और उसने वैसा ही किया जैसा करने का आदेश एस्‍तर ने दिया था।