शूशनगढ़ नगर में एक यहूदी था। उसका नाम मोरदकय था। वह बिन्यामिन कुल का था। उसके परदादा का नाम कीश, दादा का नाम शिमई, और पिता का नाम याईर था। मोरदकय उन निष्कासित बन्दियों में से एक था, जिनको बेबीलोन का राजा नबूकदनेस्सर यहूदा प्रदेश के राजा यकोन्याह के साथ यरूशलेम नगर से बन्दी बनाकर ले गया था। उसने अपने चाचा अबीहइल की बेटी हदस्सा अर्थात् एस्तर को पाला-पोसा था; क्योंकि वह अनाथ थी; न उसकी माँ थी और न पिता। जब उसके माता-पिता का देहान्त हो गया तब मोरदकय ने उसको गोद लेकर अपनी पुत्री बना लिया। वह देखने में सुन्दर थी। उसका अंग-अंग सांचे में ढला था। सम्राट क्षयर्ष का आदेश और राजाज्ञा प्रसारित की गई। अत: अनेक कन्याएं शूशनगढ़ में हेगय को सौंपी गईं। उनमें एस्तर भी थी। वह रनिवास के प्रबन्धक हेगय के संरक्षण में रहने के लिए राजमहल में लाई गई। एस्तर को देखकर हेगय खुश हो गया। उसने उसके साथ कृपापूर्ण व्यवहार किया। उसने शीघ्र ही एस्तर को शृंगार का सामान दिया। इसके अतिरिक्त उसने उसे राजमहल की सात चुनी हुई सेविकाएं दीं तथा उसके भोजन की व्यवस्था कर दी। तत्पश्चात् उसने एस्तर तथा उसकी सेविकाओं को रनिवास के सर्वोत्तम भाग में ठहरा दिया।
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